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Haj 2026 : अविवाहित बच्चियों, विधवाओं के प्रिग्नेंसी टेस्ट कराने पर पसमांदा मुस्लिम समाज भड़का

लखनऊ, उत्तर प्रदेश। Haj 2026 की तैयारियों के बीच नया विवाद खड़ा होता दिखाई देने लगा है। प्रक्रिया के बीच अविवाहित बच्चियों और विधवाओं का भी प्रेग्नेंसी टेस्ट चर्चा में है

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Mohd. Arslan
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पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता

मुसलमानों के पाक और मुकद्दस हज के सफर के लिए तैयारियां शुरू हो गई है। भले ही अभी इस पवित्र यात्रा में महीनों का समय हो लेकिन भारत सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय और हज कमेटी ऑफ इंडिया ने आगे की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हालांकि इस बीच एक बड़ा बखेड़ा खड़ा होता हुआ दिखाई देने लगा है। मेडिकल के दौरान अविवाहित बच्चियों और विधवाओं के साथ तलाकशुदा औरतों का भी प्रेग्नेंसी टेस्ट अनिवार्य किया गया है। इस मामले की जानकारी मिलते ही पसमांदा मुस्लिम समाज ने आपत्ति जताई और पीएम मोदी से इसमें हस्तक्षेप की मांग की।

महिला आयोग की चुप्पी पर उठाए सवाल

पसमांदा समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने कहा कि एक तरफ माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी "सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास" का नारा देते हैं, वहीं दूसरी तरफ हज यात्रा के दौरान अविवाहित बच्चियों, विधवाओं और तलाकशुदा औरतों तक का प्रेग्नेंसी टेस्ट कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हैरानी की बात यह है कि इस घोर अपमानजनक प्रकरण पर राष्ट्रीय महिला आयोग और उत्तर प्रदेश महिला आयोग ने चुप्पी साध रखी है, जबकि दोनों को स्वतः संज्ञान लेकर दोषियों को जेल भिजवाना चाहिए था। अनीस मंसूरी ने इस कार्यवाही को मुस्लिम महिलाओं की गरिमा और सम्मान के साथ खुला खिलवाड़, शर्मनाक अपमान और घिनौना मज़ाक करार देते हुए प्रधानमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।

अनीस मंसूरी ने प्रक्रिया को बताया अपमानजनक

अनीस मंसूरी ने कहा कि मेडिकल फिटनेस के नाम पर जबरन महिला हज यात्रियों से प्रेग्नेंसी टेस्ट कराने की प्रक्रिया पूरी तरह से अनुचित, अमानवीय और अपमानजनक है। उन्होंने बताया कि हज कमेटी के आदेश के बाद प्रदेश के कई अस्पतालों में अविवाहित बच्चियों, विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं को जबरन इस तरह की जांच से गुजरना पड़ा, जिससे उनमें गहरा आक्रोश और असंतोष है।उन्होंने सवाल उठाया कि जब भारतीय संविधान हर नागरिक को सम्मान और व्यक्तिगत अधिकार प्रदान करते हैं, तो मुस्लिम महिलाओं के साथ इस प्रकार का ज़िल्लत भरा व्यवहार क्यों किया जा रहा है? मंसूरी ने मांग की कि इस आदेश को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए और इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की जाए कि सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके महिलाओं की गरिमा से खिलवाड़ किसके आदेश पर हुआ।

विरोध प्रदर्शन की संगठन ने दी चेतावनी

उन्होंने कहा कि पसमांदा मुस्लिम समाज महिला यात्रियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है और यदि सरकार व हज कमेटी ने आदेश वापस नहीं लिया तो प्रदेशभर में उग्र विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। अनीस मंसूरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए कहा कि वह स्वयं इस अतिसंवेदनशील मुद्दे पर तत्काल हस्तक्षेप करें और इसे रुकवाएं। उन्होंने यह भी घोषणा की कि इस संबंध में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और राज्यपाल को पत्र भेजकर मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने की मांग की जाएगी।

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