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पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक राजीव कृष्ण ने राज्य के सभी जोनल, रेंज और जनपदीय पुलिस अधिकारियों को एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग (AHT) थानों को और अधिक प्रभावी व सक्रिय बनाने के लिए सख्त दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि मानव दुर्व्यापार एक संगठित वैश्विक अपराध है, जो महिलाओं और बच्चों के बुनियादी अधिकारों का हनन करता है। इस अपराध से निपटने के लिए हर स्तर पर पुलिस की भूमिका अत्यंत संवेदनशील और त्वरित होनी चाहिए।
एएचटी थानों में विशेष प्रशिक्षित पुलिस बल रहेगा तैनात
डीजीपी ने कहा कि बीएनएस 2023 की धारा 143 के अंतर्गत यौन शोषण, वेश्यावृत्ति, जबरन मजदूरी, जबरन विवाह, घरेलू दासता, अवैध गोद लेना, भीख मंगवाना, अंग प्रत्यारोपण व नशीले पदार्थों की तस्करी जैसे अपराध मानव तस्करी की श्रेणी में आते हैं।राज्य के सभी जनपदों में एएचटी थानों को संसाधनों के साथ सुदृढ़ किया गया है। अब इन थानों में विशेष प्रशिक्षित पुलिस बल तैनात रहेगा जिसमें कम से कम एक निरीक्षक, दो उपनिरीक्षक, दो मुख्य आरक्षी और दो आरक्षी शामिल होंगे। डीजीपी ने स्पष्ट किया कि इन थानों के स्टाफ को अन्य ड्यूटी (कानून-व्यवस्था या सुरक्षा गश्त) में नहीं लगाया जाएगा ताकि मानव तस्करी से संबंधित विवेचनात्मक कार्य प्रभावित न हों।
बिना देरी किये दर्ज होगी प्रथम सूचना रिपोर्ट
उन्होंने निर्देश दिया कि ऐसे सभी मामलों में प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) बिना विलंब दर्ज की जाए और तत्काल सर्च व रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया जाए। यदि किसी अन्य थाने में ऐसी शिकायत आती है, तो एफआईआर दर्ज कर 24 घंटे के भीतर प्रकरण एएचटी थाने को स्थानांतरित किया जाए।डीजीपी ने यह भी कहा कि गुमशुदा नाबालिगों के मामलों में, यदि कोई बच्चा चार माह तक बरामद नहीं होता है, तो उस प्रकरण को भी एएचटी थाने को स्थानांतरित किया जाए। इन मामलों में एएचटी थाना प्रत्येक तीन माह में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) को प्रगति रिपोर्ट भेजेगा।
थानों की कार्यप्रणाली और सर्च ऑपरेशन की समीक्षा की जाएगी
मानव तस्करी पीड़ितों के पुनर्वास, चिकित्सा, काउंसलिंग और विधिक सहायता के लिए एएचटी थानों को महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग, श्रम विभाग और चाइल्ड हेल्पलाइन के साथ समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं। राज्य में मिशन वात्सल्य योजना के अंतर्गत 199 काउंसलर नियमित रूप से कार्यरत हैं, जिनका सहयोग इन मामलों में लिया जाएगा।प्रत्येक माह कमिश्नरेट/जनपदीय पुलिस प्रमुख द्वारा एएचटी थानों की कार्यप्रणाली और सर्च ऑपरेशन की समीक्षा की जाएगी। जिन मामलों में छह माह तक अनावरण नहीं हो पाया है, उनमें विशेष रूप से सघन पर्यवेक्षण किया जाएगा।
मानव तस्करी के मामलों में किसी भी प्रकार की ढिलाई अस्वीकार्य
डीजीपी ने यह भी निर्देश दिया कि जनपदों में जागरूकता कार्यक्रम व कार्यशालाओं के माध्यम से मानव तस्करी विरोधी कानूनों और थानों की भूमिका के बारे में जनसामान्य को अवगत कराया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि सर्च या रेस्क्यू ऑपरेशन में लापरवाही बरतने पर संबंधित स्थानीय थाने व एएचटी थाने के अधिकारी समान रूप से जिम्मेदार माने जाएंगे।राज्य के पुलिस प्रमुख ने स्पष्ट कहा मानव तस्करी के मामलों में किसी भी प्रकार की ढिलाई अस्वीकार्य है। प्रत्येक अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि हर पीड़ित को न्याय, सुरक्षा और पुनर्वास की पूरी गारंटी मिले।
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