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आजम को जेल भेजवाने वाले IAS की आखिरकार हो ही गई विदाई, आखिर केंद्र सरकार ने क्यों नहीं दिया एक्सटेंशन

समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान को सलाखों के पीछे भिजवाने वाले 2005 बैच के सिक्किम कैडर के आईएसएस अधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं।

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Deepak Yadav
aunjaneya kumar singh

आजम को जेल भेजवाने वाले आइएएस की आखिरकार हो ही गई विदाई Photograph: (google)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।  सपा सरकार में मिनी सीएम कहे जाने वाले कद्दावर नेता आजम खां अब शायद थोड़ी सी राहत महसूस करें क्योंकि उन पर कानूनी शिकंजा कस कर जेल भेजवाने वाले आइएएस अफसर आन्जनेय कुमार सिंह (Aunjaneya kumar Singh) की यूपी से विदाई हो गई है। योगी सरकार की सिफारिश के बाद भी केंद्र सरकार ने उन्हें एक्सटेंशन नहीं दिया है। फिलहाल वे दो महीने की छुट्टी पर चले गए हैं लेकिन वह यूपी वापस लौट सकेंगे, इसको लेकर संशय है। आन्जनेय का मूल कैडर सिक्किम है और आने वाले दिनें में वह वहां पदस्थ दिखाई दे सकते हैं। आन्जनेय रामपुर के डीएम और मुरादाबाद के कमिश्नर रहे हैं। मुरादाबाद से उन्हें रिलीज कर दिया गया है। 

आजम ने कहा था कि इस अफसर से अपने जूते साफ कराऊंगा

आजम खां और आन्जनेय की तल्खी कोई नई नहीं है। अपनी तैनाती के दौरान आन्जनेय ने आजम के पूरे किले को ध्वस्त कर दिया था। रामपुर में डीएम के रूप में अपनी तैनाती के दौरान आन्जनेय न  आजम के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए थे। तिलमिलाए आजम ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान डीएम को लेकर कई तल्ख टिप्पणी की थी। एक थी कि चुनाव के बाद इसी डीएम से जूते साफ कराऊँगा। आजम ने कहा था-‘कलेक्टर-फलेक्टर से मत डरियो, ये तनखैय्या हैं.. अल्लाह ने चाहा तो इनसे जूते साफ कराऊंगा।‘

क्यों आन्जनेय से तिलसमिलाए थे आजम ?

इसके बाद दोनों में तनातनी और बढ़ती गई थी। आजम के खिलाफ कानूनी शिकंजा और कसता चला गया था। उन पर अलग अलग धाराओं में 93  मुकदमे दर्ज हुए थे और आजम को जेल जाना पड़ा था। आजम को तीन साल की सजा हुई थी। इसके बाद यूपी विधानसभा के अध्यक्ष ने उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी थी। आजम का पत्नी फात्मा और बेटे अब्दुल्लाह पर भी बड़ी संख्या में मुकदमे दर्ज हुए थे। आन्जनेय ने न सिर्फ आजम द्वारा नियम विरुद्ध बनवाए गए उर्दू गेट को तोड़वा दिया था बल्कि जौहर यूनिवर्सिटी को नियम विरुद्ध दी गई जमीन पर भी कब्जा ले लिया था। इससे तिलमिलाए आजम ने बयानबाजी शुरू कर दी थी। तब आन्जनेय ने कहा था सारे मुकदमे साक्ष्यों के आधार पर ही लिखे गए हैं।

योगी के पसंदीदा अफसर रहे हैं आन्जनेय

तेज तर्रार छवि वाले आन्जनेय मूल रूप से मऊ के रहने वाले हैं और योगी सरकार के भरोसेमंद और पसंदीदा अफसर रहे हैं। 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के बाद 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पसंद पर वह यूपी कैडर में लाए गए थे। बाद में भाजपा सरकार बनी तो वह योगी के खासमखास अफसरों में शामिल हो गए। यूपी में वह कई पदों पर रह चुके हैं लेकिन रामपुर में डीएम और बाद में मुरादाबाद का कमिश्नर बनने के बाद वह विशेष रूप ले चर्चा में रहे। 

छह बार मिल चुका था एक्सटेंशन

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आजम के खिलाफ लगातार हो रही कार्रवाई के चलते आन्जनेय कुमार सिंह को योगी सरकार की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने यूपी में रहने के लिये छह बार एक्सटेंशन दिया था। यूपी में उनकी प्रतिनियुक्ति की अवधि 2020 में पूरी होने के बाद भाजपा सरकार ने पहला एक्सटेंशन दिया था। उसके बाद एक-एक साल के चार एक्सटेंशन और छह-छह माह के दो एक्सटेंशन उन्हें मिल चुके हैं। 14 अगस्त 2025 को आन्जनेय की एक्सटेंशन अवधि खत्म हो चुकी है।

ये हैं प्रतिनियुक्ति के नियम

अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति अधिकतम 5 साल के लिए ही हो सकती है। बहुत जरूरी होने पर इसमें संबंधित राज्य सरकार की सिफारिश पर केंद्र सरकार एक वर्ष का एक्सटेंशन दे सकती है। अधिकतम 2 एक्सटेंशन देने की परंपरा रही है। हालांकि, आईएएस आंजनेय कुमार सिंह की प्रतिनियुक्ति अवधि यूपी में पांच साल की जगह 10 साल हो गई है।

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