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बिजली निजीकरण में नया ट्विस्ट : सलाहकार कंपनी की खुली पोल, भुगतान फंसा

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि निजी घरानों ने सबसे पहले ग्रांट थार्नटन को सलाहकार बनवाया और हितों के टकराव में छूट दिलाई।

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Deepak Yadav
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बिजली निजीकरण में नया ट्विस्ट Photograph: (google)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण मामले में नया मोड़ आ गया है। पावर कारपोरेशन के निदेशक (वित्त) निधि कुमार को सेवा विस्तार नहीं मिलने के बाद अब सलाहकार ग्रांट थार्नटन कंपनी की पोल खुल गई है। कंपनी को दोष मुक्त करने के मामले में टेंडर मूल्यांकन कमेटी ने सहमति नहीं दी थी। बावजूद इसके तत्कालीन निदेशक वित्त ने कंपनी को क्लीन चिट दिलाई। अब पावर कारपोरेशन कंपनी को भुगतान करने को तैयार नहीं है।

ब्लैकलिस्ट करने के बजाय क्लीन चिट

ग्रांट थानर्टन को निजीकरण के दस्तावेज तैयार करने लिए सलाहकार नियुक्त किया गया है। उस पर अमेरिका में 40 हजार डॉलर का जुर्माना लगाया गया था। इस बात का जिक्र उसने अपने शपथ पत्र में नहीं किया। मामला उजागर होने पर कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने के बजाय क्लीन चिट दे दी गई। अब कंपनी ने भुगतान के लिए पावर कारपोरेशन को चिट्टी लिखी तो पूरा मामला खुला गया। पता चला कि सलाहकार कंपनी को दोष मुक्त करने के मामले में टेंडर मूल्यांकन कमेटी के किसी भी सदस्य ने सहमति नहीं दी थी। पूर्व निदेशक नारंग ने फाइल को इंजीनियर आप कॉन्ट्रैक्ट के बिना अनुमति के आगे बढ़कर पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक और अध्यक्ष से साइन कराकर दबा दिया था। 

रिजर्व बिड प्राइस जानबूझकर घटाई

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि निजी घरानों ने सबसे पहले ग्रांट थार्नटन को सलाहकार बनवाया और हितों के टकराव में छूट दिलाई। निजी घरानों से जुड़े कंपनी के विशेषज्ञों ने पूर्व निदेशक वित्त नारंग से सांठगांठ करके उन्हें टेंडर मूल्यांकन कमेटी का अध्यक्ष बनवाया। अमेरिका में जुर्माना लगने का मामला उजागर होने पर कंपनी को बचाया गया। वर्मा ने कहा कि निजीकरण के लिए बनने वाली नई बिजली कंपनियों की रिजर्व बिड प्राइस जानबूझकर 2000 करोड़ रुपये कम रखी गई। ताकि बड़े निजी घराने टेंडर में आसानी से हिस्सा ले सकें। इसीलिए सभी बिजली कंपनियों की कुल रिजर्व बिड प्राइस 6500 करोड़ रुपये आंकी गई है। ऐसे में किसी भी एक कंपनी की कीमत 1500 करोड़ से ऊपर नहीं जाएगी।

निजी घरानों की टेंडर में भाग लेने की हैसियत नहीं

वर्मा ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम की कुल संपत्ति लगभग 1 लाख करोड़ के ऊपर है। बिना आरएसएस को जोड़े पूर्वांचल की 53234 करोड़ और दक्षिणांचल की 36204 करोड़ रुपये है। 42 जनपदों में पांच नई बिजली कंपनियां प्रस्तावित हैं। इसमें एक के पास लगभग 8 जनपद होंगे। ऐसे में संपत्तियों का सही मूल्यांकन करते हुए रिजर्व बिड प्राइस निकली जाए तो कोई भी निजी घराना टेंडर में भाग लेने की हैसियत नहीं रखता।

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