Advertisment

Good News : 60 साल पुरानी 'जासूसी' सैटेलाइट तस्वीरों से पुनर्जीवित होगी गंगा

गंगा बचाने के नए मंत्र के तहत नमामि गंगे बनाएगा संरक्षण का ब्लूप्रिंट। नमामि गंगे और आईआईटी कानपुर ने मिलकर खोली नदी के बदलाव की आधी सदी की कहानी। नदी के स्वरूप, प्रवाह और भूमि उपयोग में आए पांच दशकों के बड़े बदलाव दर्ज किए।

author-image
Vivek Srivastav
18 aug f

कोरोना उपग्रह की तस्वीरों में गंगा। Photograph: (वाईबीएन)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। गंगा के अतीत से उसके भविष्य का रास्ता तय करने की दिशा में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने ऐतिहासिक पहल शुरू की है, जिसमें आईआईटी कानपुर ने कमान संभाली है। संस्थान के शोधकर्ताओं ने 1965 की अमेरिकी जासूसी उपग्रह श्रृंखला 'कोरोना' से ली गई दुर्लभ तस्वीरों को 2018-19 की अत्याधुनिक सैटेलाइट इमेजरी के साथ जोड़कर नदी के स्वरूप, प्रवाह और भूमि उपयोग में आए पांच दशकों के बड़े बदलाव दर्ज किए हैं। 
यह अध्ययन गंगा संरक्षण और बहाली के लिए डेटा-आधारित ठोस खाका पेश करने की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है। यह परियोजना गंगा नॉलेज सेंटर का हिस्सा होगी, जो गंगा से जुड़ी शोध, पोर्टल और डाटासेट्स का भंडार है तथा नदी के पुनर्जीवन के लिए वैज्ञानिक और शोध-आधारित निर्णय लेने में मदद करेगी। 
कोरोना उपग्रह की तस्वीरों में गंगा अपनी प्राकृतिक अवस्था में लगभग अछूती नजर आती है, जबकि 2019 की तस्वीरें नदी की बदलती स्थिति को उजागर करती हैं। इन तस्वीरों में बैराज, तटबंध और शहरी विस्तार के कारण गंगा की स्वाभाविक बहाव गति पर रोक लगती हुई दिखाई देती है। यह तुलनात्मक अध्ययन अब नई उम्मीद का संचार करता है। वैज्ञानिकों के पास अब ऐसे ठोस मानचित्र मौजूद हैं, जो यह बताते हैं कि किन क्षेत्रों में पुनर्स्थापन से गंगा अपनी पुरानी लय को फिर से पा सकती है और कहां भूमि उपयोग में सुधार से उसकी सेहत को बेहतर बनाया जा सकता है।

18 aug g
पुराने स्‍वरूप वाली गंगा। Photograph: (वाईबीएन)

अत्याधुनिक वेब-जीआईएस लाइब्रेरी विकसित की जा रही

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन का यह महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट केवल नदी की भू-आकृति में हुए परिवर्तनों का वैज्ञानिक लेखा-जोखा नहीं तैयार कर रहा, बल्कि भूमि उपयोग और भूमि आवरण (LULC) के तुलनात्मक अध्ययन से यह उजागर कर रहा है कि अतिक्रमण, तेजी से फैलता शहरीकरण और कृषि विस्तार किस तरह गंगा के प्राकृतिक संतुलन को चोट पहुंचा रहे हैं। इन आंकड़ों को आधार बनाकर एक अत्याधुनिक वेब-जीआईएस लाइब्रेरी विकसित की जा रही है, जिसका सीधा इस्तेमाल भविष्य की नीतियों, नदी प्रबंधन रणनीतियों और बहाली योजनाओं में किया जाएगा।

एक ही प्लेटफार्म पर विश्लेषण और योजना

कोरोना और भूमि उपयोग और भूमि आवरण (LULC) डेटा को इंटरैक्टिव यूजर इंटरफेस और गूगल अर्थ इंजन एप्लिकेशन पर होस्ट किया जाएगा, ताकि विश्लेषण और योजना दोनों एक ही प्लेटफार्म पर संभव हों। परियोजना के तहत 9 प्रमुख विंडो—हरिद्वार, बिजनौर, नरौरा, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, भागलपुर और फरक्का के लिए विशेष डिजिटल डिस्प्ले तैयार किया जाएगा, जो स्थानीय से राष्ट्रीय स्तर तक निर्णय लेने में अहम भूमिका निभाएगा।

Advertisment
18 aug h
गंगा का बहाव। Photograph: (वाईबीएन)

सटीक डिजिटल प्रदर्शन किया जाएगा

गंगा की सेहत का वैज्ञानिक नक्शा तैयार करने के लिए नई परियोजना में कई निर्णायक कदम उठाए जा रहे हैं। सबसे पहले, पूरी गंगा बेसिन तल की सीमा तय कर कोरोनल इमेजरी के जरिए उसका सटीक डिजिटल प्रदर्शन किया जाएगा। 1965-75 की तस्वीरों और मौजूदा परिदृश्य की तुलना से भूमि उपयोग और भू-आकृतिक बदलाव का स्पष्ट विजुअलाइजेशन तैयार होगा। सारे आंकड़ों को एक वेब-जीआईएस मॉड्यूल में संगठित कर उन्नत क्वेरी सिस्टम विकसित किया जाएगा, जिससे शोधकर्ता और योजनाकार अपनी जरूरत के मुताबिक डेटा तुरंत निकाल सकेंगे। डेटा के सार्वजनिक वितरण के लिए एक प्रणाली स्थापित की जाएगी, जो भविष्य में गंगा पर विभिन्न हितधारकों के शोध में इसके उपयोग को सुगम बनाएगी।
आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों का मानना है कि यह उपलब्धि गंगा संरक्षण में “डेटा-ड्रिवन” प्लानिंग का नया दौर शुरू करेगी। तकनीकी चुनौतियां अभी बरकरार हैं, पर शोध टीम लगातार अपनी कार्यविधि निखार रही है अधिक सटीकता और तेज प्रोसेसिंग की दिशा में बढ़ते हर कदम के साथ गंगा के भविष्य की तस्वीर और स्पष्ट होती जा रही है।

तस्वीरें बदलते हालात को सामने लाती हैं

यह तस्वीरें गंगा के लगभग अछूते स्वरूप को दर्ज करती हैं। वर्ष 2019 की तस्वीरें बदलते हालात को सामने लाती हैं जहां बैराज, तटबंध और शहरी विस्तार ने नदी की मिएंडरिंग रफ्तार को सीमित कर दिया है। यही तुलनात्मक अध्ययन अब नई उम्मीद जगा रहा है। वैज्ञानिकों के पास ठोस मानचित्र हैं, जो बताते हैं कि किन इलाकों में बहाली से गंगा अपनी पुरानी लय पा सकती है और कहां भूमि उपयोग में सुधार से उसकी सेहत फिर से निखर सकती है।

Advertisment
18 aug
तस्‍वीरों में गंगा। Photograph: (वाईबीएन)

आने वाली पीढ़ियों के लिए एक ऐतिहासिक कदम

गंगा नदी के कायाकल्प के लिए अतीत की सटीक तस्वीरों से बेहतर कोई मार्गदर्शन नहीं हो सकता और यही राह यह प्रोजेक्ट दिखा रहा है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन का यह प्रयास विज्ञान की ठोस नींव और परंपरा की गहरी जड़ों को जोड़कर आने वाली पीढ़ियों के लिए गंगा को उसके स्वच्छ, मुक्त और जीवनदायी स्वरूप में लौटाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित हो रहा है।

यह भी पढ़ें- Akhilesh Yadav ने कानपुर अधिवक्ता प्रकरण में BJP को घेरा : बोले- ‘UP में भाजपाई भ्रष्टाचार का त्रिकोण

Advertisment

यह भी पढ़ें- शुभांशु शुक्ला का लखनऊ में गर्मजोशी से होगा स्वागत, ग्रुप कैप्टन इस दिन आ सकते हैं गृह जनपद

यह भी पढ़ें- निजीकरण मसौदे की मंजूरी को नियामक आयोग जाएंगे आला अफसर, उपभोक्ता परिषद ने भी कसी कमर

यह भी पढ़ें- पूजा पाल ने खोला दूसरी शादी का राज, सपा से निष्कासित विधायक का चौंकाने वाला दावा

ganga | Clean Ganga Mission | clean ganga river | ganga clean | latest up news | up news | UP news 2025 | up news hindi | up news in hindi 

up news latest up news clean ganga river ganga up news in hindi up news hindi ganga clean Clean Ganga Mission UP news 2025
Advertisment
Advertisment