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BBAU में धूमधान से मनाया गया स्वतंत्रता दिवस : कुलपति बोले- जाति और संप्रदाय की बेड़ियां तोड़कर युवा विकास के पथ पर आगे बढ़ें

कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने कहा कि क्रांतिकारियों, स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग, बलिदान और शौर्य के कारण यह अनमोल आजादी मिली है। युवाओं से आह्वान किया कि जाति और संप्रदाय की बेड़ियों को तोड़कर विकास के पथ पर आगे बढ़ें।

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Deepak Yadav
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बीबीएयू में धूमधान से मनाया गया स्वतंत्रता दिवस

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। स्वतंत्रता दिवस पर शुक्रवार को बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय (BBAU)  में आयोजित भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत ध्वजारोहण और बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने कहा कि क्रांतिकारियों, स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग, बलिदान और शौर्य के कारण यह अनमोल आजादी मिली है। अंग्रेजों का मानना था कि यदि भारत स्वतंत्र भी हो जाए तो यहां के लोग मानसिक रूप से गुलाम रहेंगे। यह स्वतंत्रता लंबे समय तक नहीं टिक पाएगी। लेकिन आज देशवासियों के अथक प्रयासों, कठिन परिश्रम और अटूट संकल्प के परिणामस्वरूप दुनिया मान चुकी है कि भारत के पास विश्व का नेतृत्व करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि आईआईटी, एम्स आईआईएम कॉलेज और विश्वविद्यालयों की बढ़ती संख्या भारत की निरंतर प्रगति को दर्शाती है। 

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 शिक्षा समाजिक परिवर्तन का सबसे सशक्त माध्यम

प्रो. मित्तल ने कहा कि ने युवाओं से आह्वान किया कि जाति और संप्रदाय की बेड़ियों को तोड़कर विकास के पथ पर आगे बढ़ें। यही बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर का भी सपना था। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही सामाजिक परिवर्तन का सबसे सशक्त माध्यम है। इसलिए हमें शिक्षा को आधार बनाकर विभिन्न वर्गों के साथ संवाद स्थापित करना और समस्याओं के समाधान के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे शोध को बढ़ावा देना चाहिए जो समाज के लिए उपयोगी हों, क्योंकि हमारे आसपास का समाज ही एक जीवंत प्रयोगशाला के समान है। जिससे सीखकर हम वास्तविक और स्थायी बदलाव ला सकते हैं। 

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विश्वविद्यालय में बनेगा क्रिएटिविटी व पैशन क्लब

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कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय में क्रिएटिविटी क्लब, पैशन क्लब और विभिन्न सोसायटियों की स्थापना की जाएगी, ताकि छात्र-छात्राएं अपनी प्रतिभा, कौशल और नवाचार को सही दिशा में प्रयोग कर सकें और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभा सकें। उन्होंने पांच प्रमुख बिंदुओं पर कार्य करने की आवश्यकता बताई। विकसित भारत में सक्रिय योगदान, मानसिक गुलामी से पूर्णतः मुक्ति, भारतीय संस्कृति, विरासत का संरक्षण, एकता के मार्ग पर चलना और अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहना। 

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उत्कृष्ट कार्य करने पर 12 विभूतियां सम्मानित

विश्वविद्यालय की ओर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने पर 12 विभूतियों को सम्मानित किया गया। इनमें कैंसर पीड़ित बच्चों के इलाज और उननी देखभाल का बीड़ा उठाने वालीं ईश्वर चाइल्ड वेलफेयर फाउंडेशन की संस्थापक सपना उपाध्याय, कृषि क्षेत्र में नई तकनीक, जैविक खेती का प्रचार-प्रसार और किसानों के जीविकोपार्जन के लिए काम करने वाले पद्मश्री राम सरन वर्मा, उद्यमिता विकास के क्षेत्र में योगदान देने वाले कुंवर शशांक, महिला सशक्तीकरण खेलकूद व स्वास्थ्य के क्षेत्र में सामाजिक कार्य करने वाले लालमणि कश्यप शामिल हैं।

इन्हें भी मिला सम्मान

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इसके अलावा रक्षा व राष्ट्र निर्माण में अपनी सेवा देने वाले सेवानिवृत्त मेजर जनरल एके चतुर्वेदी, तपन‌ कुमार विस्वास को प्राकृतिक खेती, पर्यावरण एवं जल संरक्षण के लिए किये गये सामाजिक कार्यों, भूपेन्द्र सिंह को थारू जनजाति के विकास में किये गये कार्यों, प्रतीक अग्रवाल को वनटांगिया एवं थारू जनजाति के विकास में दिये गये योगदान, शरद जैन को रक्षा उपकरणों के स्वदेशीकरण, सीएसआईआर-भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के निदेशक प्रो. आलोक धवन एवं सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के निदेशक अजीत कुमार शासनी को विज्ञान, शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में एवं मनोज कुमार शुक्ला को नवाचार एवं उद्यमिता विकास के क्षेत्र में किये गये उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया गया।

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भारतीय शौर्य गाथा से जुड़ी तस्वीरों की प्रदर्शनी

इस अवसर पर स्वतंत्रता दिवस से संबंधित घटनाओं और भारतीय शौर्य गाथा से जुड़ी तस्वीरों की प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। साथ ही विश्वविद्यालय के शिक्षकों, गैर शिक्षण कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों द्वारा विश्वविद्यालय परिसर में तिरंगा यात्रा निकाली गई। इसके अतिरिक्त विद्यार्थियों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे नृत्य एवं गायन की प्रस्तुति दी गयी एवं विश्वविद्यालय पर आधारित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग भी की गयी। 

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