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UP Politics : सिर्फ योगी की तारीफ करने के लिए ही सपा से नहीं निकाली गईं पूजा पाल, वजहें और भी हैं...

विधानसभा सदन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ के बाद समाजवादी पार्टी ने विधायक पूजा पाल को पार्टी से बाहर का रास्ता जरूर दिखा दिया है लेकिन सच्चाई यह है कि इसकी पृष्ठभूमि पहले ही तैयार हो चुकी थी।

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Deepak Yadav
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सपा से निष्कासित विधायक पूजा पाल Photograph: (google)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी विधानसभा के भरे सदन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ के बाद समाजवादी पार्टी ने विधायक पूजा पाल (Pooja Pal) को पार्टी से बाहर का रास्ता जरूर दिखा दिया है और इसको लेकर राजनीति भी गरमाई हुई है लेकिन सच्चाई यह है कि इसकी पृष्ठभूमि पहले ही तैयार हो चुकी थी। सपा के टिकट पर कौशांबी के चायल विधानसभा क्षेत्र से तीसरी बार विधायक चुने जाने के डेढ़ साल बाद से ही पूजा पाल की भाजपा नेताओं से नजदीकियां बढ़ने लगी थीं और वह कई समारोहों में भाजपा नेताओं के साथ देखी जाने लगी थीं। प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ के कई कार्यक्रमों में वह उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के साथ सार्वजनिक रूप से देखी गईं। 

राज्यसभा चुनाव में की थी क्रास वोटिंग

पिछले साल हुए राज्यसभा चुनाव में पूजा पाल पर क्रास वोटिंग का आरोप लगा था। तब भाजपा ने संजय सेठ को उम्मीदवार बनाया था जिनके लिए पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करते हुए सपा के सात विधायकों ने मतदान किया था और सेठ जीत गए थे। भाजपा ने इसे अंतरात्मा की आवाज बताया था। इसके बाद से ही समाजवादी पार्टी ने पूजा पाल से दूरी बना ली थी लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। हालांकि सपा ने अन्य बागी नेताओं मनोज पांडेय, राकेश सिंह और अभय सिंह को कुछ दिनों पहले ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया है, लेकिन पूजा पाल को छोड़ दिया गया था। अब सदन में मुख्यमंत्री योगी की तारीफ करने के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ पूजा को पार्टी से निकालने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था। इससे पहले सपा इसलिए पूजा को निकालने से बच रही थी कि कहीं पीडीए के नैरेटिव पर कोई असर न पड़े। 

तीसरी बार दल बदलने की राह पर पूजा पाल

पूजा पाल दो बार बसपा से विधायक रह चुकी हैं। सपा ने उन्हें 2022 में चायल सीट से उतारा था, जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई थी। पहले बसपा और फिर सपा में जाने वाली पूजी अब भाजपा के नजदीक हैं और माना जा रहा है कि अगले चुनाव में उन्हें भाजपा टिकट दे सकती है। अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम रखने वाले राजू पाल की 2005 में निर्मम हत्या के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने पहली बार राजू की पत्नी पूजा पाल को चुनाव में उतारा था, हालांकि इसमें उन्हें जीत हासिल नहीं हुई थी। राजू की हत्या से दस दिन पहले ही पूजा की उनसे शादी हुई थी। 2007 में बसपा के टिकट पर पूजा पाल ने अतीक के भाई अशरफ को हराया था। 2012 में उन्हें बसपा के ही टिकट पर दोबारा जीत हासिल हुई थी। हालांकि 2017 में उन्हें भाजपा उम्मीदवार सिद्धार्थ नाथ सिंह करारी हार मिली थी। 

अखिलेश बताएं कि वह अतीक के परिवार के साथ या मेरे

समाजवादी पार्टी से निष्कासन के बाद पूजा पाल ने पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पर सीधी हमला बोला है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव यह बताएं की वह अतीक अहमद के परिवार के साथ खड़े हैं कि मेरे। उन्होंने कहा कि अतीक की हत्या के बाद अखिलेश को जरूर दर्द हुआ होगा। अपने एक्स एकाउंट पर पूजा पाल ने लिखा कि जितने हमले गलत बयानी मेरे ऊपर किए जा रहे है, काश एक बार निंदा के दो शब्द उन माफिया दुर्दांत अपराधियों के लिए कह दिए जाते। ये कैसा पीडीए, कैसा समाजवाद है? जिसमें एक महिला वो भी पीड़ित महिला को सत्य बोलने पर अपमानित किया जा रहा है।

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