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उपभोक्ता परिषद ने निजीकरण का फैसला वापस लेने की उठाई मांग Photograph: (google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बृहस्पतिवार को कहा कि आगरा और नोएडा में बिजली व्यवस्था निजी हाथों में होने से वहां की जनता परेशान है। इससे सबक लेने के बजाय सरकार पूर्वोंचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम का निजीकरण कर रही है। परिषद का कहना है कि अगर भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) से निजी क्षेत्र की ऑडिट अनिवार्य कर दी जाए, औद्योगिक समूह प्रदेश में निजीकरण से कोसों दूर भागेंगे।
बाबा साहब के विचार पर अमल करे सरकार
उपभोक्ता परिषद ने अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि निजीकरण के खिलाफ कर्मचारी लगातार दस महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके मसौदे में नियामक आयोग ने गंभीर कमियां निकली हैं। सीएजी ने भी मसौदा और दस्तावेज तलब किए हैं। बाबा साहब ने 1934 में कहा था कि बिजली हमेशा सरकारी क्षेत्र में रहने के साथ बहुत सस्ती होनी चाहिए। ऐसे में प्रदेश सरकार को निजीकरण का फैसला वापस लेकर बाबा साहब डॉ भीमराव आंबेडकर के विचार पर अमल करे। बिजली को सरकारी क्षेत्र में सख्ती के साथ सुधार की दिशा में आगे बढ़ाए।
टोरेंट और एनपीसीएल में घोटाले का आरोप
अवधेश वर्मा ने आरोप लगाया कि टोरेंट पावर आगरा में एस्टीमेट में धांधली चल रही है। नोएडा पावर कंपनी में ट्रांसफार्मर और बिजली से जुड़े उपकरणों की खरीद में घोटाले किए जा रहे हैं। इन दोनों बिजली कंपनियों की सीएजी से जांच कर ली जाए तो बड़ा भ्रष्टाचार सामने आएगा। परिषद अध्यक्ष ने कहा कि निजी घरानों की जांच उनका निजी ऑडिटर करता है। जिससे उनकी कमियां उजागर नहीं होती। कैग से इनकी ऑडिट अनिवार्य कर दी जाए तो औद्योगिक समूह प्रदेश में निजी क्षेत्र में आने से कतराने लगेंगे।
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