लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। लखनऊ में रियल स्टेट क्षेत्र में कार्रवाई जारी है। प्रशासन ने निर्मला इंफ्राबिल्ड के अपार्टमेंट को सील कर दिया है। इसके साथ ही, पोलार्स बिल्डर की संपत्ति को कुर्क करने का कदम उठाया गया है। कुछ दिन पहले ही पोलार्स का अपार्टमेंट भी सील किया गया था। यह कदम डिफाल्टर बिल्डरों और रियल स्टेट कारोबारियों पर दबाव बनाने के लिए लिया गया है। प्रशासन का मकसद इन बिल्डरों की अवैध गतिविधियों को रोकना और निवेशकों के हितों की रक्षा करना है। इस कार्रवाई से क्षेत्र में सख्ती का संकेत मिलता है।
सदर तहसील के उप जिलाधिकारी मनोज सिंह ने बताया कि निर्मला इंफ्राबिल्ड पर 2.49 करोड़ रुपये का आरसी बकाया है। बिल्डर बार-बार चेतावनी और नोटिस के बाद भी बकाया नहीं चुकाया। इसलिए अपार्टमेंट परिसर को सीज कर दिया गया। साथ ही, करीब 2.5 करोड़ रुपये के पोलार्स बिल्डर के फ्लैटों का मूल्यांकन लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की टीम के साथ शुरू हुआ है। मूल्यांकन के बाद, इन संपत्तियों को नीलाम किया जाएगा।
वहीं डीएम विशाख जी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जो भी बकायेदार हैं उनसे धनराशि जमा कराई जाए। अगर कोई बार-बार नोटिस के बावजूद नहीं जमा कर रहा है तो उसकी संपत्ति कुर्क कर नीलामी कर बकाया जमा कराया जाए।
डीएम का आदेश टॉपटेन बकायेदारों पर बरती जाए सख्ती
डीएम ने सभी एसडीएम को तहसीलों के टाप टेन बकायेदारों से वसूली में सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं। लखनऊ में बिल्डर करीब सवा अरब रुपया अभी भी हड़पे बैठे हैं। रेरा वसूली के लिए आरसी तो जारी कर रहा है, लेकिन अधिकांश जमा नहीं कर रहे हैं। डिफाल्टरों की सूची में सरकारी विभाग भी हैं। करीब नौ करोड़ तो आवास विकास पर ढाई करोड़ रुपये बकाया है। वसुंधरा लोटस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड पर तीन करोड़ 40 लाख रुपये बकाया है। सहारा प्राइम सिटी लिमिटेड पर आठ करोड़ की देनदारी है। इससे पहले वसुंधरा प्रापर्टीज और जेजे मोटल्स पर कार्रवाई हुई थी।
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