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बिजली दरों पर मंथन : UPPCL ने रखे दो विकल्प, उपभोक्ता परिषद, मेट्रो कारपोरेशन, आईआईए ने किया कड़ा विरोध

राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने उपभोक्ताओं का पक्ष रखते हुए कहा कि बिजली दरों में प्रस्तावित बढ़ोतरी आसंवैधानिक है। ये प्रस्ताव बहुवर्षीय टैरिफ वितरण विनियमन-2025 के तहत आना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

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Deepak Yadav
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नियामक आयोग में राज्य सलाहकार समिति की बैठक में बिजली दरों में प्रस्तवित वृद्धि पर चर्चा Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में शुक्रवार को आयोजित राज्य सलाहकार समिति की बैठक में बिजली दरों में प्रस्तावित वृद्धि पर गहन चर्चा हुई। इसमें पावर कारपोरेशन ने वित्तीय चुनौतियों का हवाला देते हुए सरकार की तरफ से दिए सब्सिडी जाने दिए जाने या फिर बिजली के दाम बढ़ाने पर जोर दिया। इस पर विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कड़ा एतराज जताते हुए बिजली दरों में प्रस्तावित बढ़ोत्तरी के साथ निजीकरण का भी विरोध किया। इस दौरान सरकार की तरफ से अपर मुख्य सचिव ऊर्जा नरेंद्र भूषण, मध्यांचल प्रबंध निदेशक रिया केजरीवाल,  प्रबंध निदेशक , इंडियन इंडस्ट्री संगठन के प्रतिनिधि और कई विभागों के विशेष सचिव मौजूद रहे।

प्रीपेड मीटर का खर्च जनता पर क्यों? 

प्रबंधन निदेशक पंकज कुमार ने बिजली दरें बढ़ाने के साथ स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर होने वाला खर्च भी उपभोक्ताओं पर डालने पर जोर दिया। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इसका कड़ा विरोध करते हुए कहा कि प्रीपेड मीटर के खर्च का बोझ जनता पर नहीं डाला जा सकता। पावर कारपोरेशन ने 18,885 करोड़ का टेंडर 27,342 करोड़ में देते समय नहीं सोचा कि 9000 करोड़ कहां से आएगा। उन्होंने कहा कि पांच साल से बिजली दरों में बढ़ोत्तरी उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर सरप्लस के कारण नहीं हुई है।

बहुवर्षीय टैरिफ नियमों की अनदेखी

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राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह के सामने उपभोक्ताओं का पक्ष रखते हुए कहा कि बिजली दरों में प्रस्तावित बढ़ोतरी आसंवैधानिक है। ये प्रस्ताव बहुवर्षीय टैरिफ वितरण विनियमन-2025 के तहत आना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पावर कारपोरेशन ने इस काम के लिए करोड़ों रुपये का सलाकार रखा है। इसके बाद भी रेगुलेशन के विपरीत प्रस्ताव कैसे लाया गया। उन्होंने कहा कि घरेलू उपभोक्ताओं की बीपीएल श्रेणी की दरें 3 से 4 रुपये प्रति यूनिट प्रस्तावित की गईं, जो भाजपा के संकल्प पत्र के खिलाफ है। घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 45 फीसदी तक की प्रस्तावित वृद्धि से प्रदेश को लालटेन युग में ले जाया जा रहा है। 

2025-26 में 2000 करोड़  से ज्यादा होगा सरप्लस

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा कि उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 33,122 करोड़ सर प्लस निकल रहा है। 2025-26 में यह आंकड़ा 2000 करोड़ रुपये पार कर जाएगा। ऐसे में देश का कोई भी कानून बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं करा सकता। इस​लिए बिजली के दाम 45 प्रतिशत घटाए जाएं। एक साथ ऐसा संभव नहीं होने की स्थिति में अगले पांच साल तक नौ प्रतिशत की जाए। इसके साथ ही केन्द्र सरकार के नियम के तहत प्रीपेड मीटर लगाने वाले विद्युत उपभोक्ताओं को दो प्रतिशत की जगह पांच फीसदी की छूट मिलनी चाहिए।

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सरकारी कंपनियों को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर

सलाहकार समिति के अन्य सदस्यों दीपा जैन, डॉ. भारत राज सिंह ने एक प्रस्ताव रखा। जिसमें कहा गया कि बिजली दरों में 45 फीसदी कमी की जाए और निजीकरण का प्रस्ताव खारिज हो। उन्होंने कहा कि  जब केन्द्र आरडीएसएस योजना में 44,094 करोड़ खर्च कर रही है, तो सरकारी क्षेत्र में ही दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को आत्मनिर्भर बनाया जाए। साथ ही वितरण हानियों के मामले में विद्युत नियामक आयोग से स्वत: अध्ययन कराकर आगे की कार्यवाही कराई जाने की मांग उठाई।

नोएडा पावर कंपनी पर गंभीर आरोप

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इसके अलावा अवधेश वर्मा ने नोएडा पावर कंपनी में लागू 10 प्रतिशत बिजली दरों में कमी के प्रस्ताव को आगे भी जारी रखने की मांग उठाते हुए कहा कि एनपीसीएल ने मोटा मुनाफा कमाया है। लेकिन वहां के उपभोक्ता परेशान हैं। 1993 में कंपनी को लाइसेंस दिए जाने से समय से उपभोक्ता परिषद विरोध कर रहा है। प्रदेश सरकार कंपनी का लाइसेंस रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लड़ रही है।  इस निजी कंपनी के इतिहास को देखते हुए पूर्वांचल और दक्षिणांचल का निजीकरण किसी भी हालत में उपभोक्ताओं को स्वीकार नहीं है।

मेट्रो कारपोरेशन, आईआईए ने भी किया विरोध

मेट्रो कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने बिजली दरों में बढ़ोतरी का विरोध करते हुए कहा मेट्रो को कोई भी सब्सिडी नहीं मिलती। यदि उसकी दरों में बढ़ोतरी हुई तो मेट्रो कारपोरेशन बंदी के कगार पर पहुंच जाएगा। इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन (आईआईए) के प्रतिनिधि ने भी बिजली दरों में बढ़ोतरी का विरोध करते हुए कहा कि प्रदेश में पहले से ही बिजली दरें ज्यादा हैं इसलिए उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कोई भी बढ़ोतरी न की जाए।

Electricity Privatisation | Uprvup | IIA | Metro Corporation | UPPCL

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