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फर्जी दस्तावेज से हासिल नौकरी नियुक्ति से ही शून्य- हाई कोर्ट

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि जाली दस्तावेजों के आधार पर यदि कोई सरकारी नौकरी हासिल करता है तो ऐसी नियुक्ति शुरू से ही शून्य मानी जाएगी। ऐसे व्यक्ति वेतन और अन्य सेवा लाभों पर कोई कानूनी दावा नहीं कर सकते और उन्हें प्राप्त वेतन वापस करना होगा।

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Deepak Yadav
allahabad high court

Allahabad High Court Photograph: (google)

  • नियुक्ति निरस्त करने व वेतन वापसी के बीच एसए के आदेश के खिलाफ याचिका खारिज 

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि जाली दस्तावेजों के आधार पर यदि कोई सरकारी नौकरी हासिल करता है तो ऐसी नियुक्ति शुरू से ही शून्य मानी जाएगी। ऐसे व्यक्ति वेतन और अन्य सेवा लाभों पर कोई कानूनी दावा नहीं कर सकते और उन्हें प्राप्त वेतन वापस करना होगा। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने कमलेश कुमार निरंकारी की याचिका पर दिया है। याची बलिया में प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत था। एक शिकायत पर जांच के बाद जाली दस्तावेज के आधार पर नौकरी पाने की पुष्टि हुई। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने 6 अक्तूबर 2022 के आदेश से उसकी नियुक्ति को रद्द कर दिया। साथ ही दिए गए वेतन की वसूली का आदेशि दिया। याची ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी।

सरकार का आरोप- जाली मार्कशीट से मिली थी नौकरी

याची का कहना था कि उसे 10 अगस्त 2010 को सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्त किया गया था और उसने कभी कोई जालसाजी नहीं की। उसने सभी शैक्षिक दस्तावेज जमा किए थे लेकिन बिना उचित सुनवाई के उसकी नौकरी रद्द कर दी गई। यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है। उसके पैन कार्ड, आधार कार्ड और शैक्षिक प्रमाण पत्रों में नाम में अंतर था। यह संबंधित प्राधिकारियों की त्रुटि के कारण थीं। इसमें याची की कोई भूमिका नहीं है। सरकार की ओर से कहा गया कि याची ने जाली मार्कशीट और प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी प्राप्त की थी। उसने एक अन्य व्यक्ति कमलेश कुमार यादव के दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था। 

बीएसए का आदेश बरकरार, याचिका खारिज

पुलिस सत्यापन रिपोर्ट में भी पुष्टि हुई कि याची की ओर से दिए गए पते पर उस नाम का कोई व्यक्ति नहीं रहता है। उसे कई बार मौका देने के बाद भी वह अपने मूल दस्तावेज पेश नहीं कर पाया। कोर्ट ने कहा कि धोखाधड़ी से प्राप्त नियुक्ति शुरू से ही शून्य होती है और ऐसे में विस्तृत जांच की आवश्यकता नहीं होती। नाम में गंभीर विसंगतियां और मूल दस्तावेजों को पेश न कर पाना धोखाधड़ी का सबूत है। अतः नौकरी रद्द करने और वेतन वापस लेने का आदेश वैध है। कोर्ट ने बीएसए के आदेश को बरकरार रखा और याचिका खारिज कर दी।

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Allahabad High Court | Allahabad High Court hearing

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