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Crime News: 30 साल बाद मिला इंसाफ, दुर्दांत माफिया अनुपम दुबे और उसके साथी को आजीवन कारावास

फतेहगढ़ में 26 जुलाई 1995 को हुए पीडब्ल्यूडी ठेकेदार शमीम की हत्या के मामले में 30 साल बाद माफिया अनुपम दुबे और उसके साथी बालकिशन उर्फ शिशु को उम्रकैद और 1,03,000 रुपये का जुर्माना की सजा सुनाई गई।

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Shishir Patel
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अनुपम और उसके साथी को आजीवन कारावास।

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी के कुख्यात माफिया और राज्यस्तरीय चिन्हित अपराधी अनुपम दुबे को 30 साल पुराने चर्चित शमीम ठेकेदार हत्याकांड में आखिरकार उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। उसके साथी बालकिशन उर्फ शिशु को भी आजीवन कारावास और एक-एक लाख तीन हजार रुपये जुर्माना अदा करने की सजा दी गई। 

भरे बाजार में की गई थी पीडब्ल्यूडी ठेकेदार शमीम की हत्या

यह फैसला फरुर्खाबाद के विशेष न्यायाधीश (ईसी एक्ट) अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, कोर्ट संख्या-04 ने बुधवार को सुनाया।मामला 26 जुलाई 1995 का है। उस दिन फतेहगढ़ कोतवाली क्षेत्र में भरे बाजार में पीडब्ल्यूडी ठेकेदार शमीम की गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी गई थी। वादी नसीम पुत्र हनीफ ने मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस जांच में इस हत्याकांड के पीछे अनुपम दुबे और उसके साथियों का नाम सामने आया।

जीरो टॉलरेंस नीति के तहत यह हो पाया संभव 

फतेहगढ़ पुलिस ने इस मुकदमे की लगातार प्रभावी पैरवी की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत, डीजीपी राजीव कृष्ण, एडीजी जोन कानपुर आलोक सिंह, डीआईजी रेंज हरीश चंदर और एसपी फतेहगढ़ आरती सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम ने हर गवाह को विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम के तहत सुरक्षा दी और ट्रायल में कोई बाधा न आने दी। नतीजा यह हुआ कि तीन दशक बाद न्यायालय से दोनों अभियुक्तों को कठोर सजा दिलाई जा सकी।

अनुपम का आपराधिक इतिहास बेहद लंबा और खतरनाक 

अनुपम दुबे का आपराधिक इतिहास बेहद लंबा और खतरनाक है। वर्ष 2023 में वह पुलिस इंस्पेक्टर रामनिवास यादव हत्या कांड में भी उम्रकैद की सजा पा चुका है। इसके खिलाफ अब तक 65 गंभीर मुकदमे दर्ज हो चुके हैं जिनमें हत्या, डकैती, रंगदारी, फिरौती, धोखाधड़ी और जमीन कब्जा जैसे मामले शामिल हैं।

171 करोड़ की संपत्ति कुर्क

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अनुपम दुबे ने अपराध के जरिए अरबों की संपत्ति खड़ी की थी। पुलिस ने इसकी और इसके परिवारजनों की लगभग 171 करोड़ से अधिक की संपत्ति को गैंगस्टर एक्ट की धारा 14(1) के तहत कुर्क किया है। इसके अलावा 8 लाइसेंसी शस्त्र निरस्त कराए जा चुके हैं।

आतंक इतना था कि लोग इसके खिलाफ नहीं देते थे गवाही 

फतेहगढ़ और आसपास के जिलों में अनुपम दुबे का इतना खौफ था कि लोग इसके खिलाफ गवाही देने से डरते थे। कई बार यह अपने गुर्गों के जरिए न्यायालय और सरकारी अभिलेखों को नष्ट कराने में भी सफल हुआ। लेकिन पुलिस की सख्त कार्रवाई और गवाहों को सुरक्षा मिलने से इस बार यह सजा सुनिश्चित हो सकी।

आपरेशन कन्विक्शन की बड़ी सफलता

प्रदेश सरकार के चल रहे आपरेशन कन्विक्शन के तहत यह फैसला एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। पुलिस और प्रशासन का मानना है कि इस सजा से अपराधियों और माफियाओं में कानून का खौफ बढ़ेगा।

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