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LDB News: मंत्री जी एमडी को हटाने से नहीं कर्मचारियों को वेतन देने से बनेगी बात, यूपी के 30 लाख किसान हैं अंशधारक

बैंक के कर्मचारी जब आंदोलन पर चले गए तो सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर की किरकिरी होने लगी और कर्मचारियों के पक्ष में कई विधायकों, सांसदों और बैंक के डायरेक्टरों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा क‍ि इससे किसानों में रोष है और कर्मचारी भी आंदोलन पर हैं।

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Vivek Srivastav
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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। अपनी समस्त अप्रत्यक्ष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सहकारिता मंत्री जीपीएस राठौर ने उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के एमडी को भले ही हटा दिया हो और उसकी जगह नया एमडी  बैठा दिया है बावजूद इसके बैंक के कर्मचारियों ने आंदोलन अपना अभी खत्म नहीं नहीं किया है। कर्मचारियों का कहना है, उनकी मांगे माने जाने पर ही वह काम पर लौटेंगे । इससे उत्तर प्रदेश के जहां 30 लाख किसान अप्रत्‍यक्ष  तौर पर प्रभावित हो रहे हैं वहीं बैंक को भी पर डे  तीन करोड रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है जबकि यह राजस्‍व वसूली का समय है।

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यूपी में सहकारिता आंदोलन के साथ ही उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड का जन्म हुआ। यह बैंक छोटे और लघु किसानों को लंबे अवधि की ऋण प्रदान करता है जिन किसानों को कोई प्राइवेट बैंक के लोन नहीं देती। उन किसानों की आमदनी बढ़ाने में यह बैंक सहयोग करता है। इससे उत्तर प्रदेश के किसानों को भी मजबूती मिलती है। 

मगर पिछले दिनों बोर्ड में एक प्रस्ताव लाया गया क‍ि जो कर्मचारी जितनी राजस्व की वसूली करेगा। उसे उतना ही वेतन दिया जाए और अगर दिए गए लक्ष्य के अनुरूप वसूली नहीं कर पता है तो उसे आधा वेतन दिया जाएगा। ऋण वसूली का टारगेट भी एक कर्मचारी को करीब 60% हर महीने दिया गया है। 

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आंदोलन की मुख्य वजह 

बैंक के कर्मचारियों का कहना है क‍ि जब उन्होंने नौकरी पाने के लिए एग्जाम दिया था तो सेवा मंडल की ओर से जो विज्ञप्ति निकाली गई थी उसमें इस तरह की कोई बात नहीं लिखी थी। इसके अलावा कर्मचारियों की सेवा नियमावली में भी कहीं या नहीं लिखा है क‍ि 60% राजस्व वसूली होगए, तभी पूरा वेतन पाने के आप लोग हकदार होंगे।

13 मई से बैंक के कर्मचारी पेन डाउन आंदोलन पर 

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बोर्ड के प्रस्ताव के खिलाफ 13 मई  से उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के कर्मचारी पेन डाउन हड़ताल पर हैं। उनके काम न करने की वजह से 3 करोड़ पर डे बैंक को नुकसान हो रहा है। कर्मचारियों का कहना है, जहां ज्यादातर विभाग और निगम आठवें  वेतनमान की तैयारी कर रहे हैं। वहीं बैंक में अभी छठा वेतनमान दिया जा रहा है और उल्टा वेतन के कटौती की भी बात कही की जा रही है। नाम न छापने के शर्त पर कर्मचारियों ने बताया क‍ि यह सब सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर के इशारे पर हो रहा है। 

हटा दिया गया एमडी को और नए एमडी को मिला चार्ज 

बैंक के कर्मचारी जब आंदोलन पर चले गए तो सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर की किरकिरी होने लगी और कर्मचारियों के पक्ष में कई विधायकों, सांसदों और बैंक के डायरेक्टरों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा क‍ि इससे किसानों में रोष है और कर्मचारी भी आंदोलन पर हैं। इससे सरकार की छवि धूमिल हो रही है। फलस्वरुप जब इस तरह की शिकायतें मुख्यमंत्री तक पहुंचने लगी तो अपनी छवि सुधारने के लिए सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर ने सबसे पहले उत्तर प्रदेश सरकारी ग्राम विकास बैंक के प्रबंध निदेशक शश‍िरंजन राव को हटा दिया और उनकी जगह पर आरके कुलश्रेष्ठ को प्रबंध निदेशक बनाया क्योंकि कुलश्रेष्ठ की कर्मचारियों में छवि अच्छी है। बावजूद इसके आंदोलन अभी तक खत्म नहीं हुआ जबकि नए एमडी कुलश्रेष्‍ठ के संग कर्मचारियों की कई चरणों की वार्ता हो चुकी है। 

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30 लाख किसान हो रहे हैं प्रभावति- संदीप अवस्थी

उत्तर प्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक संदीप अवस्थी ने बताया क‍ि उत्तर प्रदेश के ब्लॉक और तहसील स्तर पर बैंक की करीब 300 शाखाएं हैं और इन शाखों से करीब 30 लाख किसानों का लेनदेन होता रहता है। आंदोलन होने से जहां ढाई हजार कर्मचारी प्रभावित हैं। वहीं 30 लाख किसानों का कामकाज भी प्रभावित हो रहा है।

100 करोड़ के फायदे में बैंक 

संदीप अवस्थी ने आगे बताया क‍ि वित्तीय वर्ष में बैंक करीब 100 करोड़ के फायदे में जा रहा है तो अंग्रेजी हुकूमत वाला हंटर कर्मचारियों पर क्यों चलाया जा रहा है। एमडी बदल देने समस्‍या समाधान नहीं हुआ है। हमें तो सातवां वेतनमान दिया जाए।

लिखित आदेश मिलने पर आंदोलन होगा समाप्त

संयोजक संदीप अवस्थी ने बताया क‍ि नए एमडी ने पदभार ग्रहण कर लिया है और उनसे दो चरणों की वार्ता हो चुकी है। उन्होंने आश्वासन दिया है क‍ि जो सेवा नियमावली की शर्तें हैं उसी के अनुरूप वेतनमान निर्धारण की प्रक्रिया अमल में लाई जाए। इसके अलावा सातवें वेतनमान की बात भी हुई है। उसे पर भी प्रबंध निदेशक राजी हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि भले ही बोर्ड से प्रस्ताव पास हो गया है। मगर अभी प्रबंध निदेशक और निबंधक सहकारिता ने अपनी मुहरनहीं लगाई है। इस तरह से बोर्ड में प्रस्ताव लाए बगैर भी इसे वापस लिया जा सकता है।

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