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यूपी में लाइन हानियां राष्ट्रीय मापंदड से कम, फिर निजीकरण क्यों Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा कि राष्ट्रीय मापंदड से कम लाइन हानिया होने के बावजूद प्रदेश में बिजली कंपनियों का निजीकरण (Electricity Privatisation) करना केन्द्र सरकार के नीति के खिलाफ है। समिति ने आरोप लगाया कि आद्योगिक समूहों को लाभ देने के लिए 42 जिलों की जमीन मात्र एक रुपये की लीज पर दी जा रही है। एक लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों को कौड़ियों के मोल बेचा जा रहा है। पूर्वांचल और दक्षिाणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के नाम पर बड़ी लूट हो रही है। इसके विरोध में बिजली कर्मचारियों के संघर्ष में किसान और उपभोक्ता भी लामबंद हो गए हैं।
निजीकरण केन्द्र सरकार की नीति के विरुद्ध
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि मार्च 2017 में 40 फीसदी लाइन हानियां थीं। जो घटकर 15.54 फीसदी रह गई हैं। केन्द्र सरकार की ओर से सितंबर 2020 में जारी निजीकरण के स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट में यह जिक्र है कि जहां वितरण हानियां 16 फीसदी से कम है, उन डिस्कॉम का निजीकरण नहीं किया जाएगा। लाइन राष्ट्रीय मापंदड से कम हो गई हैं। ऐसे में बिजली कंपनियों का निजीकरण केन्द्र सरकार की नीति के विरुद्ध है।
बिजली आपूर्ति में सुधार, फिर निजीकरण क्यों
पदाधिकारियों ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के विज्ञापन के अनुसार, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में अप्रैल, मई, जून की भीषण गर्मी में ग्रामीण क्षेत्रों में 18.20 घंटे, तहसील में 21.31 घंटा और जिला मुख्यालय पर 23.49 घंटा बिजली की आपूर्ति की गई है। इसी तरह दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में ग्रामीण क्षेत्रों में 18 घंटे 50 मिनट, तहसील मुख्यालय पर 21 घंटे 28 मिनट और जनपद मुख्यालय पर 23 घंटे 52 मिनट बिजली आपूर्ति की गई है। उत्तर प्रदेश के सभी विद्युत वितरण निगमों में भीषण गर्मी में ग्रामीण क्षेत्रों में 20 घंटे 6 मिनट तहसील मुख्यालय पर 22 घंटे 22 मिनट और जिला मुख्यालय पर 24 घंटे विद्युत आपूर्ति की जा रही है। बिजली आपूर्ति में उल्लेखनीय सुधार के बाद किन कॉर्पोरेट घरानों की मदद करने के लिए बिजली का निजीकरण किया जा रहा है।
जेल जाने वाले कर्मचारियों की तैयार की जा रही सूची
समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बताय कि आज अवकाश के दिन पदाधिकारियों ने सभी जनपदों और परियोजनाओं पर बैठक कर निजीकरण के विरोध में स्वेच्छा से जेल जाने वाले कर्मचारियों की सूची तैयार की। उन्होंने चेतावनी दी कि निजीकरण का टेंडर जारी होते ही बिजली कर्मचारी अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार कर सामूहिक जेल भरो आंदोलन शुरू करेंगे।
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