/young-bharat-news/media/media_files/2025/07/06/merge-schools-2025-07-06-15-47-54.jpeg)
प्राइमरी स्कूलों के विलय पर शिक्षकों में उबाल Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों के विलय करने के फैसले से शिक्षक संगठनों में भारी आक्रोश है। सरकार का तर्क है कि जिन स्कूलों को छात्र-छात्राओं की संख्या 50 से कम उनका विलय किया जाएगा। इससे उन स्कूलों को लाभ मिलेगा जहां पर शिक्षक-छात्र का मानक पूरा नहीं हो रहा है। वहीं, शिक्षक संगठनों ने कहा कि सरकार बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर कर रही है। जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने प्रदेश भर में आठ जुलाई को प्रदर्शन का एलान किया है।
गांवों के बच्चों से छीनी जा रही शिक्षा
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चन्द्र शर्मा ने कहा कि सरकार 50 से कम छात्रों वाले स्कूलों को बंद करके ग्रामीण बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रही है। साथ ही 149 तक की छात्र संख्या वाले प्राथमिक एवं 99 तक की संख्या वाले उच्च प्राथमिक स्कूलों में प्रधानाध्यापक के पद समाप्त कर रही है। अब स्कूल बिना हेड मास्टर के चलाने की योजना है। जिससे शिक्षकों की पदोन्नति के अवसर ही समाप्त हो गए हैं।
डीएलएड-बीटीसी अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर संकट
डॉ. शर्मा ने कहा कि स्कूल बंद होने से हजारों रसोइयों की सेवा समाप्त होगी। साथ ही भविष्य में शिक्षक बनने की उम्मीद लगाये बैठे डीएलएड-बीटीसी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की भर्ती नहीं हो पायेगी। सरकार को अपना निर्दयी व कठोर निर्णय वापस लेना चाहिए। उन्होंने मांग की कि कोई भी विद्यालय बंद न किया जाये। सरकार वास्तव में शिक्षा का हित चाहती है तो प्रत्येक कक्षा पर एक सहायक अध्यापक व हर विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक नियुक्त किया जाये। उन्होंने शिक्षकों से आठ जुलाई को संबंधित जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर फैसले का विरोध करने का आह्वान किया है।
स्कूल बंद करना शिक्षा पर ताला
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष उदय नारायण सिंह यादव ने कहा कि गांव के सरकारी स्कूलों को बंद करना शिक्षा पर ताला लगाने जैसा है। एक स्कूल का निर्माण सैकड़ों जेल बंद करने के बराबर हो सकता है। एक स्कूल का बंद होना हजारों अपराधी बनाने के बराबर हो सकता है। वहीं शिक्षक कुलदीप सिंह ने कहा कि लोगों ने निःशुल्क अपनी जमीन दान दी। उस पर स्कूल बने। गांव में ज्यादातर लोगों की इतनी उम्र नहीं है, जितने पुराने स्कूल हैं। ऐसे में उन स्कूलों को बंद करना उसमें पढ़ने वाले बच्चों के साथ अन्याय है। जिनके पास शिक्षा का अधिकार है।
नौनिहालों की पढ़ाई खतरे में
यूपी शिक्षक महासंघ के सदस्य विपिन बिहारी ने कहा कि सरकार के फैसले से ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चे शिक्षा से वंचित हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि विद्यालय आमतौर पर गांवों में बच्चों के घर के नजदीक होते हैं। जहां बच्चे पैदल स्कूल जा सकते हैं। विलय के बाद उन्हें दूरस्थ विद्यालयों में जाना पड़ेगा। जिससे यात्रा का समय और खर्च बढ़ेगा। इससे विशेष रूप से गरीब परिवारों की लड़कियों की पढ़ाई छूटने का खतरा है। वहीं, शिक्षकों और छात्रों के बीच व्यक्तिगत संबंध कमजोर पड़ सकते हैं। छोटे स्कूलों में शिक्षक प्रत्येक बच्चे की प्रगति पर ध्यान दे पाते हैं। जो इसमें में चुनौतीपूर्ण हो सकता है। साथ ही स्थानीय समुदाय का स्कूल से जुड़ाव कम होगा। जो सामाजिक एकता को प्रभावित करेगा।
यह भी पढ़ें- पावर कारपोरेशन का नया प्लान : कम लागत में बिजली कंपनियों के निजीकरण की गढ़ रहा नई कहानी
यह भी पढ़ें- UP News: अखिलेश का बड़ा आरोप, कहा- भाजपा के इशारे पर काम कर रहा चुनाव आयोग