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निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर किया प्रदर्शन, जेल भरो आंदोलन की तैयारी तेज

संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि निजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह भ्रष्टाचार से भरी है। पहले हितों के टकराव के नियमों को शिथिल किया गया, फिर झूठा शपथ पत्र देने और अमेरिका में जुर्माना स्वीकारने वाली ग्रांट थार्नटन को सलाहकार बना दिया गया।

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Deepak Yadav
protest against electricity privatisation

बिजली कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर किया प्रदर्शन Photograph: (YBN)

लखनऊ वाईबीएन संवाददाता। पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण से उपभोक्ताओं को मिलने वाले कथित विशेष लाभ के प्रदेश सरकार के विज्ञापन से आक्रोशित बिजली कर्मचारियों ने शनिवार को काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर प्रदेश भर में परियोजनाओं पर कार्मियों ने विरोध दिवस मनाया। साथ ही निजीकरण का टेंडर जानी होने पर अपनी मर्जी से जेल जाने वाले कर्मचारियों ने जेल भरो आंदोलन की सूची में नाम दर्ज कराया।

आईएएस प्रबंधन पर उठाए सवाल 

संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार की नजर में बिजली के निजीकरण (Electricity Privatisation) के बाद पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के 42 जनपदों में बिजली आपूर्ति के लिए विश्वसनीय प्रबन्धन होगा। तो इस विज्ञापन से स्पष्ट है कि ऊर्जा निगमों में विगत 22 वर्षों से चल रहा आईएएस प्रबंधन अविश्वसनीय है। इसी अविश्वसनीय प्रबंधन की तरफ से किए जा रहे निजीकरण की विश्वसनीयता क्या है? ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा खुद आईएएस अधिकारी रह चुके हैं। उनका यह कहना कि निजीकरण के बाद बेहतर प्रबन्धन होगा, एक तरह से ऊर्जा निगमों में आईएएस प्रबंधन की विफलता को उजागर करता है।

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निजीकरण प्रकिया में भ्रष्टाचार का आरोप

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि निजीकरण की पूरी प्रक्रिया भ्रष्टाचार से भरी हुई है। पहले सलाहकार कंपनी की नियुक्ति में हितों के टकराव के प्राविधान को शिथिल कर दिया गया। फिर झूठा शपथ पत्र देने और अमेरिका में जुर्माना लगने की बात स्वीकार करने पर ग्रांट थार्नटन को सलाहकार बनाया गया। इसके बाद पावर कारपोरेशन के निदेशक वित्त निधि नारंग को तीन बार सेवा विस्तार दिया गया। निधि नारंग ने बिजली कंपनियों के निजीकरण के लिए आरएफपी डॉक्यूमेंट तैयार कराया। इसे विद्युत नियामक आयोग को भेजा गया। विद्युत नियामक आयोग ने इस पर आपत्तियां दर्ज कर इसे वापस कर दिया। 

आयोग की स्वीकृति बिना छपा विज्ञापन

समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि निजीकरण के दस्तावेज को अभी तक नियामक आयोग ने स्वीकार नहीं किया है। इसके बावजूद पावर कारपोरेशन और शासन के अधिकारियों ने निजीकरण के विशेष लाभ बताते हुए प्रदेश सरकार का विज्ञापन छपवा दिया। इससे नाराज बिजली कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर विरोध दिवस मनाया।

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इन जनपदों में हुआ विरोध प्रदर्शन

दुबे ने बताया कि आज वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, हरदुआगंज, जवाहरपुर, परीक्षा, पनकी, ओबरा, पिपरी और अनपरा में विरोध प्रदर्शन कर विरोध दिवस मनाया गया।

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Electricity Privatisation
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