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निजीकरण पर अटॉर्नी जनरल से राय लेने की वकालत Photograph: (google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली निजीकरण के मसौदे को असंवैधानिक करार देते हुए इस पर अटॉर्नी जनरल से राय लेने की वकालत की है। संगठन ने आरोप लगाया कि निजीकरण की प्रकिया में विद्युत अधिनियम 2003 की धाराओं का उल्लंघन किया जा रहा है। औद्योगिक समूहों को 3500 करोड़ लाभ देने के लिए पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों को भंग करके बनाई जाने वाली पांच निजी कंपनियों के लिए आरक्षित निविदा मूल्य 6500 करोड़ रुपये रखा गया है। जबकि यह रकम 10 हजार करोड़ रुपये से कम नहीं होनी चाहिए।
निजीकरया में विद्युत अधिनियम का उल्लंघन
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि निजीकरण के मसौदे में नियामक आयोग ने वित्तीय कमियां पाई हैं। इसके बावजूद सरकार को यह प्रकिया सही लगती है, तो उसे इस पर देश के अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया से विधिक राय ले सकती है। चूंकि विद्युत अधिनियम 2003 कानून लोकसभा से पास किया गया है। इसलिए इस पर उचित कानूनी राय अटॉर्नी जनरल ही दे सकते हैं। इससे सरकार और पावर कारपोरेशन और सरकार को स्पष्ट हो जाएगा कि मसौदा कानूनी रूप से असंवैधानिक है।
औद्योगिक समूहों को लाभ देने की तैयारी
परिषद अध्यक्ष ने कहा कि निजीकरण का मसौदा तैयार करने वाली सलाहकार कंपनी ग्रांट थॉनर्टन पहले से ही विवादों के घिरी रही है। अमेरिका में उस पर जुमार्ना लगने के बावजूद उसे क्लीन चिट दे दी गई। उन्होंने कहा कि हाईवे परियोजनाओं पर काम करने वाली इस कंसल्टेंट कंपनी को ऊर्जा क्षेत्र का कोई अनुभव नहीं है। वर्मा ने आरोप लगाया कि औद्योगिक समूहों को लाभ देने के लिए यह मसौदा तैयार किया गया है।
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