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फर्जी सीबीआई अधिकारी बनकर डिजिटल हाउस अरेस्ट कर 1 करोड़ 18 लाख की ठगी करने वाला गिरफ्तार

लखनऊ साइबर क्राइम पुलिस ने फर्जी सीबीआई और ईडी अधिकारी बनकर एक व्यक्ति को “डिजिटल हाउस अरेस्ट” कर 1 करोड़ 18 लाख रुपये की ठगी करने वाले आरोपी कमलेश कुमार को गिरफ्तार किया है। आरोपी ने बैंक खाता और सिम देकर गिरोह को सुविधा दी थी।

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Shishir Patel
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साइबर ठग गिरफ्तार।

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।राजधानी की साइबर क्राइम पुलिस ने एक ऐसे साइबर ठग को गिरफ्तार किया है, जो खुद को सीबीआई और ईडी का अधिकारी बताकर लोगों से करोड़ों की ठगी करता था। आरोपी ने एक व्यक्ति को डिजिटल तरीके से हाउस अरेस्ट कर 1 करोड़ 18 लाख रुपये की धोखाधड़ी की थी।

मामला इस तरह शुरू हुआ

22 सितंबर को लखनऊ के हीरक भट्टाचार्य के मोबाइल पर एक व्हाट्सएप कॉल आया। कॉल करने वाले ने अपना नाम विजय खन्ना, पुलिस अधिकारी बताया। उसने कहा कि वादी के नाम से दिल्ली के केनरा बैंक में एक फर्जी खाता खोला गया है, जिसमें धोखाधड़ी का पैसा जमा होता है। कुछ देर बाद, खुद को ईडी अधिकारी राहुल गुप्ता बताने वाले दूसरे व्यक्ति ने कॉल किया और जांच के नाम पर डराते हुए अलग-अलग खातों में कुल 1,18,55,000/- जमा करवा लिए।

फर्जी गिरफ्तारी वारंट व कोर्ट के सीजर आदेश भेजकर डराया 

कॉल करने वालों ने वादी को कहा कि मामला बहुत गोपनीय है, इसलिए किसी से बात न करें। उन्होंने फर्जी गिरफ्तारी वारंट और कोर्ट के सीजर आदेश भी भेजे और लगातार कॉल व चैट के जरिए दबाव बनाए रखा। इस तरह वादी को मानसिक रूप से डिजिटल रूप में बंधक बनाकर ठगा गया। घटना के बाद वादी ने साइबर क्राइम थाना लखनऊ में शिकायत दर्ज कराई। मामले को गंभीरता से लेते हुए मुकदमा दर्ज किया गया। 

साइबर पुलिस की टीम ने किया खुलासा

पुलिस आयुक्त लखनऊ के निर्देश पर, संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध), उपायुक्त (अपराध) और सहायक पुलिस आयुक्त (साइबर क्राइम) के पर्यवेक्षण में प्रभारी निरीक्षक बृजेश कुमार यादव के नेतृत्व में टीम गठित की गई। टीम ने तकनीकी जांच के आधार पर ठग का पता लगाकर उसे गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपी का नाम कमलेश कुमार (उम्र 39 वर्ष) निवासी ग्राम सैफलपुर थाना काकोरी, लखनऊ है।

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पूछताछ में चौंकाने वाला खुलासा

पूछताछ में कमलेश ने बताया कि वह पहले घर पर मिठाई बनाकर दुकानों पर सप्लाई करता था। अगस्त 2025 में उसकी मुलाकात सीतापुर निवासी अनुराग नाम के व्यक्ति से हुई, जिसने उसे एक स्कीम बताई। अनुराग ने कहा कि यदि वह अपने नाम से बैंक खाता खुलवाकर उससे जुड़ी सिम और दस्तावेज उसे दे देगा, तो उसे खाते के लेनदेन का 2 प्रतिशत कमीशन मिलेगा।

कमीशन के लालच में इंडसइंड बैंक में खुलवाया खाता 

कमीशन के लालच में कमलेश ने गोमतीनगर के इंडसइंड बैंक में खाता खुलवाया और सभी दस्तावेज अनुराग को दे दिए। जांच में पता चला कि अनुराग विदेश में बैठे साइबर अपराधियों से जुड़ा था और वह ठगी की रकम का 5 प्रतिशत (क्रिप्टो करेंसी) के रूप में कमीशन पाता था। कमलेश के खाते में करोड़ों रुपये का लेनदेन पाया गया है। एनसीसीआरपी पोर्टल पर जांच के दौरान उसके खाते से जुड़ी 22 शिकायतें पूरे देश से दर्ज मिली हैं।

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गिरोह का ठगी करने का तरीका

साइबर ठग खुद को पुलिस, ईडी या सीबीआई अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं कि उन्होंने किसी अपराध में पैसा लिया है या उनका नाम किसी मामले में जुड़ा है। वे फर्जी गिरफ्तारी वारंट, नोटिस और अदालत के आदेश भेजते हैं और कहते हैं कि जांच के लिए वीडियो कॉल (जैसे स्काइप आदि) पर रहना होगा।

आरोपी कब्जे से पुलिस ने एक मोबाइल भी किया बरामद 

इस दौरान वे पीड़ित को डिजिटल हाउस अरेस्ट में रख देते हैं, यानी वह व्यक्ति कॉल या चैट के माध्यम से लगातार निगरानी में रहता है और बाहर किसी से संपर्क नहीं कर सकता। डर के माहौल में पीड़ित से बड़ी रकम उनके बताए खातों में ट्रांसफर करा ली जाती है। कई बार वे यह भी झांसा देते हैं कि जांच के बाद पैसा वापस कर दिया जाएगा। पुलिस ने आरोपी के कब्जे से एक मोबाइल फोन बरामद किया है।

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