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राज्य फाइलेरिया अधिकारी डॉ एके चौधरी Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। प्रदेश के 27 जनपदों में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के तहत बीते माह चले नाइट ब्लड सर्वे (एनबीएस) के रिजल्ट के आधार पर 195 ब्लाक में सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान चलाने का फैसला किया गया है। यह अभियान 10 अगस्त से 28 अगस्त तक चलेगा। जिसमें इन ब्लाक में स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर लोगों को दवा खिलाएंगे।
फाइलेरिया उन्मूलन लक्ष्य की ओर कदम
राज्य फाइलेरिया अधिकारी डॉ. एके चौधरी ने गुरुवार को 27 जनपदों के जिला मलेरिया अधिकारियों (डीएमओ) व ब्लाक स्तरीय अधिकारियों के साथ वर्चुअल प्रशिक्षण कार्यक्रम में एनबीएस के परिणाम बताये और एमडीए अभियान में जुटने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बीते अगस्त में एमडीए अभियान 340 ब्लाक में चलाया गया था। इस बार घटकर 195 ब्लाक में ही चलाया जा रहा है, जो फाइलेरिया उन्मूलन लक्ष्य की ओर बढ़ता कदम है। डॉ चौधरी ने कहा, चूंकि हम फाइलेरिया के उन्मूलन के आखिरी पायदान पर हैं, इसलिए इस अभियान से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को बेहद गंभीरता से काम करना होगा। हर जनपद में मानीटरिंग टीम को और सक्रिय होना होगा।
इन जनपदों में चलेगा एमडीए अभियान
इस बार बहराइच, बलरामपुर, गोण्डा, श्रावस्ती, सुलतानपुर, बस्ती, देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, औरेया, इटावा, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, हरदोई, रायबरेली, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, फतेहपुर, कौशांबी, चंदौली, गाजीपुर व मिर्जापुर में एमडीए अभियान चलाया जाएगा।
रोजाना रिपोर्टिंग पर जोर
राज्य फाइलेरिया अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के नेतृत्व में राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अधीन वर्ष 2027 तक फाइलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य के मद्देनजर ट्रांसमिशन असेसमेंट सर्वे (टास) और एनबीएस हो चुका है। एनबीएस के रिजल्ट के आधार पर 27 जनपदों के 195 ब्लाक में एमडीए अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने शिक्षा विभाग, पंचायती राज विभाग समेत अन्य संबंधित विभागों के अभियान के दौरान सक्रिय मदद लेने का भी आग्रह किया। उन्होंने धार्मिक संस्थानों और डिग्री कालेज के छात्रों से भी संपर्क करने को कहा और रोजाना रिपोर्टिंग करने के निर्देश दिए। डॉ चौधरी ने सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) को कार्यक्रम की प्रमुख कड़ी मानते हुए उनको पूर्ण सहयोग देने और उनसे पूर्ण सहयोग लेने पर जोर दिया।
अभियान में पीएसपी की अहम भूमिका
प्रशिक्षण कार्यशाला में सहयोगी संस्थानों के विषय विशेषज्ञों ने फाइलेरिया के लक्षण, उपाय समेत विभिन्न पहलुओं पर इन जिलास्तरीय व ब्लाकस्तरीय अधिकारियों को विस्तार से प्रशिक्षित किया। इस एमडीए अभियान में रोगी हितधारक मंच (पीएसपी) के 142 सदस्य सक्रिय रूप से कार्य करेंगे। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) के नेतृत्व में ये सदस्य मिथक दूर करने व दवा खाने से इनकार करने वाले लोगों की काउंसिलिंग करेंगे।
फाइलेरिया की पहचान कैसे करें?
• शुरुआत में ठंड के साथ बुखार आ सकता है।
• हाथ, पैर, पुरुषों के अंडकोष या महिलाओं के स्तनों में असामान्य सूजन।
• सूजन आमतौर पर एक ही अंग में होती है, दोनों में समान नहीं।
• मूत्र मार्ग से सफेद रंग का द्रव आना (ग्रामीण क्षेत्रों में 'धातु रोग') जिसे चिकित्सा भाषा में काइलूरिया कहते हैं।
• लंबे समय तक रहने वाली सूखी खांसी भी फाइलेरिया का लक्षण हो सकती है (ट्रॉपिकल इस्नोफीलिया)।
• फाइलेरिया लाइलाज बीमारी है लेकिन रुग्णता प्रबंधन और विकलांगता रोकथाम (एमएमडीपी) किट का प्रयोग करके इसे नियंत्रित किया जा सकता है ।
बचाव के उपाय
• मच्छरों से बचाव करें।
• पूरी बांह के कपड़े पहनें।
• घर की छत और आसपास पानी जमा न होने दें।
• कूलर और पक्षियों के पानी के पात्र नियमित रूप से साफ करें।
• कूड़ेदान को हमेशा ढककर रखें।
फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन जरूरी
• सरकार द्वारा चलाए जा रहे सर्वजन दवा सेवन अभियान के तहत साल में एक बार दवा का सेवन अवश्य करें।
• यह दवा गर्भवती महिलाओं, गंभीर रोगियों और एक वर्ष से कम आयु के बच्चों को छोड़कर सभी को खिलाई जाती है।
• दवा खाने से न सिर्फ व्यक्ति सुरक्षित रहता है, बल्कि वह दूसरों में भी संक्रमण नहीं फैलाता।
• चूंकि इस बीमारी के लक्षण संक्रमण के 10 से 15 साल बाद तक दिखते हैं, संक्रमित व्यक्ति अनजाने में दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है।