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फाइल फोटो
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता ।जब निराशा से भरी एक पोस्ट इंटरनेट पर गुम हो जाती है, तो उम्मीद भी वहीं से लौट सकती है,शर्त बस इतनी है कि कोई उसे वक्त पर सुन ले। उत्तर प्रदेश पुलिस और मेटा (फेसबुक-इंस्टाग्राम की पैरेंट कंपनी) के बीच बना एक अनोखा तालमेल, इसी "वक्त पर सुनने" की मिसाल बन चुका है।
सोशल मीडिया से मिला ज़िंदगी का दूसरा मौका
वर्ष 2022 से लागू इस विशेष प्रणाली के तहत, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर यदि कोई व्यक्ति आत्महत्या या खुद को नुकसान पहुँचाने जैसी पोस्ट करता है, तो मेटा उसे अपने ऑटोमैटिक सिस्टम से ट्रेस कर उत्तर प्रदेश पुलिस के सोशल मीडिया सेंटर को ई-मेल के जरिए अलर्ट भेजता है। इस सिस्टम की बदौलत 1 जनवरी 2023 से 20 अप्रैल 2025 तक 871 जानें बचाई जा चुकी हैं — वो जानें जो शायद अब इस दुनिया में नहीं होतीं।
आजमगढ़ में 19 वर्षीय युवक की जिंदगी बची
22 अप्रैल की रात, आजमगढ़ के मेहनगर थाना क्षेत्र में रहने वाले 19 वर्षीय चूड़ी कारीगर ने इंस्टाग्राम पर सलफास की डिब्बी की तस्वीर और कैप्शन में लिखा, "आज की रात आखिरी है।" यह पोस्ट रात 9:57 बजे मेटा के सिस्टम ने पकड़ी और तुरंत यूपी पुलिस मुख्यालय को अलर्ट भेजा।पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने स्वयं इस अलर्ट पर तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। महज 10 मिनट के भीतर युवक की लोकेशन ट्रेस कर स्थानीय पुलिस को जानकारी दी गई, और 15 मिनट के अंदर मेहनगर थाने के उप-निरीक्षक ने युवक के घर पहुँचकर उसे समय रहते बचा लिया।
प्रेम में धोखा बना अवसाद का कारण
युवक ने पुलिस को बताया कि वह प्रेम-प्रसंग में ठुकराए जाने से दुखी था, और नींद की गोलियाँ खा चुका था। लेकिन पुलिस ने न सिर्फ समय रहते उसकी जान बचाई, बल्कि घरेलू उपचार और काउंसलिंग के जरिए उसे मानसिक संबल भी दिया। युवक ने भविष्य में ऐसा कदम न दोहराने का आश्वासन भी दिया।
तकनीक और संवेदनशीलता का मेल
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सही तकनीक, संवेदनशील पुलिसिंग और इंसानी जज्बे के साथ मिलकर हम वो कर सकते हैं, जो असंभव लगता है। यह व्यवस्था न सिर्फ यूपी में बल्कि देशभर में "डिजिटल सतर्कता" का आदर्श मॉडल बन सकती है।युवक के परिजनों ने स्थानीय पुलिसकर्मियों की त्वरित कार्रवाई और मानवीय संवेदनशीलता के लिए यूपी पुलिस को धन्यवाद कहा।