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निजीकरण के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल, UP में 1 लाख बिजली कर्मी सड़क पर उतरे, बोले- असंवैधानिक फैसला वापस ले सरकार

प्रदेश के बिजली कर्मियों के समर्थन में केंद्र-राज्य सरकार के कर्मचारी, उपभोक्ता संगठन और संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसान भी प्रदर्शन में शामिल हुए। चेतावनी दी कि बिजली कर्मचारियों का उत्पीड़न किया गया तो किसान और उपभोक्ता भी सड़कों पर उतरेंगे।

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Deepak Yadav
यूपी में एक लाख बिजली कर्मी सड़क पर उतरे

लखनऊ में शक्ति भवन पर जुटे बिजली कर्मचारी और ऊर्जा संगठनों के पदाधिकरी Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लॉइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर बुधवार को देश के 27 लाख बिजली कर्मियों ने एक दिन की सांकेतिक हड़ताल की। इसी के तहत यूपी के लगभग एक लाख बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता सड़क पर उतर आए और निजीकरण (Electricity Privatisation) के खिलाफ आवाज बुलंद की। कमेटी ने निजीकरण के फैसले को असंवैधानिक बताते हुए यूपी सरकार से इसे वापस लेन की मांग की। इसके साथ ही केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय से अपली की कि वह इस मामले में हस्तक्षेप कर निजीकरण पर रोक लगाए।

राज्य कर्मचारी और किसान भी प्रदर्शन में हुए शामिल 

प्रदेश के बिजली कर्मियों के समर्थन में केंद्र व राज्य सरकार के कर्मचारी, उपभोक्ता संगठन और संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले बड़ी संख्या में किसान भी प्रदर्शन में शामिल हुए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि बिजली कर्मचारियों का उत्पीड़न किया गया तो किसान और उपभोक्ता भी सड़कों पर उतरेंगे। इसी कड़ी में लखनऊ में शक्ति भवन मुख्यालय पर हजारों बिजली कर्मी उमड़ पड़े। दफ्तर पूरी तरह खाली हो गए। बिजली कर्मचारियों, संविदा कर्मियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं ने पूरे दिन विरोध प्रदर्शन किया। 

विद्युत कर्मचारी नेताओं ने एकजुट होकर जताया विरोध

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स के राष्ट्रीय अध्यक्ष आर के त्रिवेदी, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाईज के महामंत्री मोहन शर्मा, इलेक्ट्रिसिटी इंप्लॉइज फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के महामंत्री सुदीप दत्ता, इंडियन नेशनल इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन के महामंत्री कुलदीप कुमार और ऑल इंडिया पावर मेन्स फेडरेशन के महामंत्री समर सिन्हा ने एकजुट होकर विरोध जताया। 

लखनऊ में संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने की आवाज बुलंद

लखनऊ में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों संजय सिंह चौहान, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, पी.के.दीक्षित, सुहैल आबिद, चंद्र भूषण उपाध्याय, विवेक सिंह, आर वाई शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित, आरबी सिंह, मो वसीम, मायाशंकर तिवारी, रामचरण सिंह, श्रीचन्द, सरजू त्रिवेदी, योगेन्द्र कुमार, ए.के. श्रीवास्तव, देवेन्द्र पाण्डेय, केएस रावत, राम निवास त्यागी, प्रेम नाथ राय, शशिकान्त श्रीवास्तव, मो इलियास, रफीक अहमद, पीएस बाजपेई, जीपी सिंह, राम सहारे वर्मा, विशम्भर सिंह ने संयुक्त रूप से निजीकरण के खिलाफ विरोध दर्ज कराया। 

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यूपी समेत इन राज्यों में हुआ प्रदर्शन

आज लखनऊ, वाराणसी, आगरा, त्रिवेंद्रम, हैदराबाद, विजयवाड़ा, बेंगलुरु, पुडुचेरी, मुंबई, नागपुर, गांधीनगर, जबलपुर, रायपुर, कोरबा, भोपाल, कोलकाता, गुवाहाटी, शिलांग, भुवनेश्वर, रांची, पटना, श्रीनगर, जम्मू, शिमला, पटियाला, चंडीगढ़, देहरादून जयपुर और दिल्ली में बिजली कर्मियों ने हड़ताल के दौरान विरोध प्रदर्शन कर निजीकरण का निर्णय रद्द करने की मांग की। 

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Electricity Privatisation
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