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दो मूसा, दो कातरा... नौतपा तय करेगा बारिश का रुख, जानिए इन नौ दिनों का राज

आचार्य सत्य प्रकाश मिश्रा ने बताया ​कि नौतपा ज्येष्ठ माह में शुरू होता है। इसमें नौ दिन प्रचंड गर्मी पड़ती है। इस दौरान सूर्य की किरणें सीधी धरती पर पड़ती हैं। तापमान बढ़ने से बारिश की अच्छी बारिश की संभावना भी बढ़ जाती है।

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Deepak Yadav
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नौतपा तय करेगा बारिश का रुख Photograph: (Social Media)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। सूर्य देव के नक्षत्र रोहिणी में प्रवेश करने से रविवार सुबह 9.40 बजे से नौतपा शुरू हो गया है। इसके चलते जहां गर्मी बढ़ेगी। वहीं तापमान बढ़ने से अच्छी बारिश की भी संभावना है।  खेतों की प्यास बुझने से किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है। आचार्य सत्य प्रकाश मिश्रा ने बताया कि नौतपा हर साल ज्येष्ठ माह में शुरू होता है। नौतपा के दौरान नौ दिन गर्मी अपने चरम पर होती है। सूर्य 15 दिन तक रोहिणी नक्षत्र में रहता है। इसमें शुरुआत के पहले नौ दिन सबसे अधिक गर्मी पड़ती है। इन्हीं नौ दिनों को 'नौतपा' कहा जाता है। इस दौरान सूर्य की किरणें धरती पर सीधी (लंबवत) पड़ती हैं। जिस कारण उनका तापमान सर्वाधिक रहता है। नौतपा की समाप्ति तीन जून को होगी।

तापमान बढ़ने से अच्छी बारिश की संभावना

आचार्य के मुताबिक, नौपता में नौ दिनों तक प्रचंड गर्मी पड़ने से समुद्र के पानी का वाष्पीकरण तेजी से होता है। इससे घने बादल बनते हैं और मानसून में अच्छी बारिश होने की संभावना बढ़ जाती है। यदि समुद्री क्षेत्रों में नौतपा के दौरान ही बारिश हो गई तो वाष्पीकरण की यह प्रक्रिया रुक जाती है और बादल कम बन पाते हैं। उन्होंने बताया कि नौतपा में सूर्य देव को सुबह जल चढ़ाने और पूजा करने से सफलता, यश और मान-प्रतिष्ठा प्राप्त होने के साथ सकारात्मक परिवर्तन होते हैं।

नौतपा क्यों है जरूरी

लोक संस्कृतिविद दीप सिंह भाटी के अनुसार, प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए नौतपा (लू) भी बेहद जरूरी है। उन्होंने नौतपा की कहावत का जिक्र करते हुए कहा कि 'दो मूसा, दो कातरा, दो तीड़ी, दो ताय। दो की बादी जळ हरै, दो विषधर दो दावा'। यानी नौतपा के पहले दो दिन लू न चली तो चूहे बहुत हो जाएंगे। अगले दो दिन न चली तो कातरा (फसल को नुकसान पहुंचाने वाला कीट)। तीसरे दिन से दो दिन लू न चली तो टिड्डियों के अंडे नष्ट नहीं होंगे। चौथे दिन से दो दिन नहीं तपा तो बुखार लाने वाले जीवाणु नहीं मरेंगे। इसके बाद दो दिन लू न चली तो सांप-बिच्छू नियंत्रण से बाहर हो जाएंगे। आखिरी दो दिन भी लू नहीं चली तो आंधियां अधिक चलेंगी। इससे जान-माल का नुकसान और फसलें चौपट हो जायेंगी।

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