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प्रयागराज में मत्स्य विभाग के अधिकारी व लखनऊ में एसआई घूस लेते गिरफ्तार ।
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पिछले कुछ दिनों से यूपी पुलिस में कई निलंबनों की खबरें सुर्खियों में रही, लेकिन इस बीच यह कड़वा सच सामने आया है कि भ्रष्टाचार केवल पुलिस महकमे तक ही सीमित नहीं है। अन्य सरकारी विभागों और अधिकारियों में भी भ्रष्टाचार के मामले कम नहीं हैं, जो आम जनता के लिए चौंकाने वाले हैं।हाल ही में प्रयागराज जिले में मत्स्य विभाग के अधिकारी दीपांकर कुमार को 14 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए एंटी-करप्शन टीम ने धर दबोचा। इससे पहले राजस्व विभाग में भी कई अधिकारी और कर्मचारी इसी तरह के मामलों में फंस चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी महकमे में बैठे ऐसे दागी अधिकारी सिस्टम की कमजोरी और सार्वजनिक भरोसे को नुकसान पहुंचाते हैं।
गैंगरेप मुकदमे से नाम निकालने के नाम पर मांगे थे दो लाख
पुलिस अक्सर सार्वजनिक आलोचना का शिकार रहती है, क्योंकि खाकी वर्दी वाले अधिकारी कानून की सीमाओं को चुनौती देते पाए जाते हैं। लेकिन एंटी-करप्शन टीम की हालिया कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि भ्रष्टाचार सिर्फ पुलिस महकमे तक ही सीमित नहीं, बल्कि अन्य विभागों में भी गहरा है। अक्सर बड़े पदों पर तैनात अधिकारी मामलों की जांच और कार्रवाई को धीमा कर देते हैं, जिससे भ्रष्टाचार की छाया और लंबी होती है।महानगर थाना क्षेत्र की पेपरमिल चौकी में तैनात एसआई धनंजय सिंह का मामला इसे और गंभीर बनाता है। धनंजय सिंह ने एक गैंगरेप के मुकदमे में कोचिंग संचालक प्रतीक गुप्ता से नाम हटाने के एवज में दो लाख रुपये की रिश्वत मांगी।
लखनऊ की पेपरमिल चौकी में तैनात एसआई धनंजय सिंह को एंटी करप्शन टीम ने 2 लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। दरोगा गैंगरेप केस से नाम हटाने के लिए कोचिंग संचालक से रुपये मांग रहा था। pic.twitter.com/NvHb48BcYS
— shishir patel (@shishir16958231) October 29, 2025
एंटी करप्शन का संदेश- कोई अधिकारी व कर्मचारी कानून से ऊपर नहीं
प्रतीक गुप्ता की शिकायत पर एंटी-करप्शन टीम ने जाल बिछाया और मंगलवार को जैसे ही प्रतीक ने पैसे दिए, धनंजय सिंह को रंगे हाथ पकड़ लिया गया। इस कार्रवाई के दौरान चौकी में अफरातफरी मच गई।जानकारों का कहना है कि भ्रष्टाचार का यह जाल सिर्फ व्यक्तिगत दोष नहीं बल्कि सिस्टम की कमजोरी का परिणाम है। ऐसे मामलों में न केवल जनता का भरोसा टूटता है, बल्कि सरकारी कार्यप्रणाली की विश्वसनीयता भी प्रभावित होती है। एंटी-करप्शन टीम की सक्रियता से यह संदेश जाता है कि कोई भी अधिकारी या कर्मचारी कानून से ऊपर नहीं है।हालिया घटनाओं ने यह साबित कर दिया कि चाहे पुलिस हो या अन्य सरकारी विभाग, भ्रष्टाचार से सभी महकमे अछूते नहीं हैं। ऐसे मामलों में लगातार निगरानी, पारदर्शिता और सख्त कार्रवाई जरूरी है, ताकि सार्वजनिक सेवाओं में भरोसा कायम रखा जा सके और भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रभावी संदेश जाए।
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