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नवाबों के शहर में अब खड़ी होंगी गगनचुंबी इमारतें, 42 मंजिला तक LDA ने दी मंजूरी

इस नीतिगत बदलाव से लखनऊ को न सिर्फ एक नई पहचान मिलेगी, बल्कि रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश के नए अवसर, रोजगार और आधुनिक शहरी जीवनशैली को भी बढ़ावा मिलेगा।

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Anupam Singh
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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। लखनऊ अब सिर्फ नवाबों का शहर नहीं कहलायेगा, बल्कि गगनचुंबी इमारतों की ऊंचाइयों को छूने वाला नया मेट्रो हब के लिए भी जाना जाएगा। दिल्ली, मुंबई और नोएडा जैसे शहरों की तर्ज पर अब राजधानी लखनऊ में भी 38 से 42 मंजिल तक की इमारतें खड़ी होने जा रही हैं। लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने शहीद पथ के किनारे तीन निजी हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के मानचित्रों को मंजूरी दे दी है, इनमे से दो साइटों पर निर्माण भी शुरू हो गया है।

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एफएआर में बदलाव बना विकास की नींव

इस बदलाव के पीछे सबसे बड़ा कारण है, एफएआर (फ्लोर एरिया रेश्यो) नीति में किया गया संशोधन। पहले जहां एफएआर की सीमा अधिकतम 2.5 थी अब इसे बढ़ाकर 4.0 या उससे अधिक कर दिया गया है। इसका अर्थ है कि अब उसी जमीन पर पहले से दोगुना अधिक निर्माण किया जा सकता है।

जानें क्या है एफएआर

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एफएआर किसी भूखंड पर अधिकतम निर्माण क्षेत्र को दर्शाता है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी प्लॉट का क्षेत्रफल 1000 वर्ग मीटर है और एफएआर 2.5 है, तो वहां अधिकतम 2500 वर्ग मीटर का निर्माण हो सकता है। अब इस सीमा को बढ़ाकर बिल्डरों को अधिक ऊंची इमारतें खड़ी करने की छूट मिल गई है।

शहर के ये इलाके बनेंगे मिनी-मेट्रो सिटी

LDA ने यह नई FAR नीति शहीद पथ, गोमती नगर और विभूति खंड जैसे क्षेत्रों में लागू की है। ये इलाके पहले से ही रिहायशी और व्यावसायिक गतिविधियों के हॉटस्पॉट रहे हैं। अब ये क्षेत्र गुरुग्राम और नोएडा की तर्ज पर मिनी मेट्रो सिटी का रूप लेने जा रहे हैं।

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ग्रीन बिल्डिंग्स को बढ़ावा अतिरिक्त FAR की भी छूट

LDA पर्यावरण के प्रति जागरूक परियोजनाओं को अतिरिक्त FAR देने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। इसके लिए कुछ अनिवार्य शर्तें निर्धारित की गई हैं।

ग्रीन बिल्डिंग मानकों का पालन

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सौर ऊर्जा का उपयोग

रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

आधुनिक अग्निशमन व्यवस्था

पर्याप्त पार्किंग व्यवस्था

इन शर्तों को पूरा करने पर बिल्डरों को और अधिक मंजिलें बनाने की अनुमति दी जा रही है।

बदलाव के संभावित प्रभाव

इस नीतिगत बदलाव से लखनऊ को न सिर्फ एक नई पहचान मिलेगी, बल्कि रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश के नए अवसर, रोजगार और आधुनिक शहरी जीवनशैली को भी बढ़ावा मिलेगा। हालांकि इसके साथ ट्रैफिक प्रबंधन, बुनियादी सेवाओं की उपलब्धता और आपदा सुरक्षा जैसी चुनौतियां भी सामने आएंगी, जिनसे निपटने के लिए ठोस योजना की आवश्यकता होगी।


लखनऊ में गगनचुंबी इमारतों के युग की शुरुआत हो चुकी है। शहरी विकास की यह नई लहर अगर सतत विकास (Sustainable Development) की राह पर आगे बढ़ती है तो आने वाले वर्षों में लखनऊ देश के टॉप टियर मेट्रो शहरों की सूची में शामिल हो सकता है।

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