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पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड की बिजली दरों पर जनसुनवाई Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PVVNL) की वर्ष 2025—26 के लिए बिजली दरों में प्रस्तावित बढ़ोत्तरी को लेकर बृहस्पतिवार को मेरठ में जनसुनवाई हुई। विद्युत नियामक अयोग के सामने उपभोक्ताओं ने महंगी बिजली और निजीकरण का विरोध किया। वहीं, उपभोक्ता परिषद ने चेताया कि औद्योगिक समूहों को हाथों में बिजली व्यवस्था जाने से जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। निजीकरण कर्मचारियों और उपभोक्ताओं के हित में नहीं है। सरकार को अपना फैसला तत्काल वापस लेना चाहिए।
41 प्रतिशत वृद्धि का रखा प्रस्ताव
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय सभागार में सुबह 11 बजे से नियामक आयोग के अध्यक्ष अवविंद कुमार, सदस्य संजय कुमार सिंह सिंह ने जनसुनवाई शुरू की। सबसे पहले पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की प्रबंध निदेशिका ईशा दुहन 2025-26 के लिए बिजली दरों में 41 प्रतिशत वृद्धि, ट्रू अप और परफार्मेंस रिव्यू पर पीपीटी के जरिए प्रस्तुतिकरण दिया। फिर उपभोक्तओं ने टैरिफ पर अपनी राय रखी।
क्या पश्चिमांचल का भी हो रहा निजीकरण
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपया सर प्लस निकल रहा है। इसलिए बिजली दरों में बढ़ोत्तरी नहीं, बल्कि 45 फीसदी की कमी होनी चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के जवाब में निजीकरण के बाद सुधार का जिक्र है। क्या इसका भी निजीकरण किया जा रहा है?। ऐसा नहीं है तो, इस पर स्पष्टीकरण तलब किया जाना चाहिए।
उपभोक्ताओं से नहीं मिलतीं प्रबंध निदेशक
अवधेश वर्मा ने आरोप लगाते हुए कह कि पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की प्रबंध निदेशक उपभोक्तओं से नहीं मिलतीं। ऐसे में बिजली संबंधी शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। बिजली से संबंधी लाखों शिकायतों का निस्तारण नहीं हुआ है।पश्चिमांचल के संविदा कार्मिकों को समान काम समान वेतन नहीं दी जा रहा है। कंप्यूटर ऑपरेटर का वेतन 3000 रुपये कम कर दिया गया, जोकि गलत है। इस पर पुनर्विचार किया जाए।
जनसुनवाई में रखा जांच का प्रस्ताव
वर्मा ने कहा कि दक्षिणांचल और पूर्वांचल डिस्कॉम का निजीकरण आसंवैधानिक है। उसकी सभी संपत्तियां राज्य विद्युत परिषद से विरासत में मिली हैं। इसलिए उसका मालिकाना हक प्रदेश की जनता और बिजली कार्मिकों के पास है। इसलिए सरकार उसको बेच नहीं सकती। उन्होंने कहा कि पावर कारपोरेशन अभियंताओं की संपत्ति की जांच करा रहा है। गत दो दिन पहले मुख्य सचिव ने समीक्षा भी की थी। उन्होंने बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशक, पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष सहित निदेशकों की भी आय से अधिक संपत्ति की जांच की मांग की। इस संबंध एक प्रस्ताव जनसुनवाई में रखा।
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