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दीपक और विनीत।
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने साइबर ठगी में शामिल एक संगठित गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए उसके दो सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया है। गिरोह नकली और कूटरचित दस्तावेज़ तैयार कर लोगों को होम लोन दिलाने के नाम पर ठगता था। पुलिस ने इनके कब्जे से बड़ी मात्रा में नकली दस्तावेज़, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, एटीएम कार्ड और अन्य सामान बरामद किया है।
इनके कब्जे से भारी संख्या में कूटरचित दस्तावेज बरामद
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान विनीत कुमार पुत्र स्वर्गीय विजय कुमार श्रीवास्तव, निवासी बीबी खेड़ा आवास विकास कॉलोनी, थाना पारा, लखनऊ और दीपक रावत पुत्र रामनारायण, निवासी ई-1087, राजाजीपुरम, थाना तालकटोरा, लखनऊ के रूप में हुई है।एसटीएफ ने इनके पास से 5 मोबाइल फोन, 7 एटीएम कार्ड, 4 पैन कार्ड, 1 डेस्कटॉप कंप्यूटर, 3 कूटरचित आधार कार्ड, 1 ड्राइविंग लाइसेंस, 103 वर्क लोन से संबंधित दस्तावेजों की प्रतियां (कूटरचित व अन्य), 1 बिना नंबर की मोटरसाइकिल और 28 हस्ताक्षरित चेक बरामद किए।
इस तरह से हुआ गिरोह का पर्दाफाश
साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए एसटीएफ के पुलिस उपाधीक्षक अवनीश्वर चंद्र श्रीवास्तव के पर्यवेक्षण में निरीक्षक संतोष कुमार सिंह के नेतृत्व में टीम सूचना जुटा रही थी। इसी दौरान जानकारी मिली कि लखनऊ के निवासी चांद बाबू को मकान खरीदने के लिए लोन की आवश्यकता थी। उन्होंने किसी जानकार के माध्यम से विनीत से संपर्क किया।विनीत ने भरोसा दिलाया कि वह और उसके साथी दीपक, अभिषेक सोनी और अमित रस्तोगी मिलकर आधार हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड से लोन दिला देंगे।इसके बाद गिरोह ने फाइल तैयार करने के नाम पर 11,000 कैश और 10,000 ऑनलाइन अपने खाते में मंगाए। फिर 50.90 लाख के लोन की स्वीकृति दिखाते हुए बैंक मैनेजर को 4% कमीशन के नाम पर 4 लाख, और रजिस्ट्री व स्टांप शुल्क के नाम पर 1.50 लाख वसूल लिए।आरोपियों ने व्हाट्सएप पर यस बैंक की 10 लाख और 40.90 लाख की डिमांड ड्राफ्ट (DD) की फोटो भेजी। संदेह होने पर चांद बाबू बैंक गए तो पता चला कि दोनों DD फर्जी थीं। इसके बाद पीड़ित ने ठगी की शिकायत की।
एसटीएफ ने दोनों आरोपियों को पूछताछ के लिए मुख्यालय बुलाया
एसटीएफ ने दोनों आरोपियों को पूछताछ के लिए मुख्यालय बुलाया। 4 अक्टूबर को पूछताछ में अपराध साबित होने पर उन्हें गिरफ्तार किया गया।पूछताछ में विनीत और दीपक ने स्वीकार किया कि वे अपने अन्य साथियों अभिषेक सोनी और अमित रस्तोगी के साथ मिलकर इस तरह का साइबर फ्रॉड करते थे। गिरोह जरूरतमंदों को होम लोन दिलाने के नाम पर उनके दस्तावेज लेते, घर पर ही कंप्यूटर से कूटरचित दस्तावेज़ तैयार करते, फर्जी सर्टिफिकेट और डीडी दिखाते और कमीशन, रजिस्ट्री व स्टांप शुल्क के नाम पर मोटी रकम वसूलते थे। इसके बाद समय-समय पर अपने मोबाइल नंबर और ठिकाने बदल लेते थे।
करोड़ों की ठगी, जांच जारी
एसटीएफ के अनुसार, अब तक की जांच में सामने आया है कि इस गिरोह ने फर्जी होम लोन के नाम पर करोड़ों रुपये की ठगी की है। पुलिस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है और उनके बैंक खातों व ई-वॉलेट की जांच की जा रही है। गिरफ्तार दोनों अभियुक्तों को थाना साइबर क्राइम, लखनऊ में दर्ज मुकदमा दर्ज करने के बाद कोर्ट में पेश किया गया। जहां से उन्हे जेल भेज दिया गया।
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