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चार आरोपी गिरफ्तार
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने फेन्सेडिल कफ सिरप और कोडीन युक्त अन्य दवाओं के अवैध भंडारण और नशे के उद्देश्य से बिक्री करने वाले चार आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की है। यह कार्रवाई सहारनपुर में की गई और गिरफ्तार अभियुक्तों के पास से भारी मात्रा में अवैध सामग्री और दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
गिरफ्तार अभियुक्तों के नाम व बरामद सामान
गिरफ्तार अभियुक्तों का नाम विभोर राणा, पुत्र गण गजराज सिंह, निवासी 2सी-3926ए, नियर गन्ना भवन, शास्त्री नगर, थाना सदर बाजार, सहारनपुर, विशाल सिंह, पुत्र गण गजराज सिंह, निवासी 2सी-3926ए, नियर गन्ना भवन, शास्त्री नगर, थाना सदर बाजार, सहारनपुर, बिट्टू कुमार, पुत्र स्व. हरदेवा, निवासी 49 अनमोल विहार कॉलोनी, शिव मंदिर के पास, थाना सदर बाजार, सहारनपुर; स्थाई पता: ग्राम अब्दुल्ला नगर, पो० बनहेड़ा, थाना देवबंद, सचिन कुमार, पुत्र स्व. हरदेवा, निवासी 49 अनमोल विहार कॉलोनी, शिव मंदिर के पास, थाना सदर बाजार, सहारनपुर; स्थाई पता: ग्राम अब्दुल्ला नगर, पो० बनहेड़ा, थाना देवबंद, गिरफ्तारी के दौरान अभियुक्तों के पास दो पिस्टल, दस कारतूस, चार मोबाइल फोन और भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक व भौतिक दस्तावेज बरामद किए गए।
कफ सिरप के लंबे समय से भंडारण की मिल रही थी सूचना
एसटीएफ को लंबे समय से जानकारी मिल रही थी कि फेन्सेडिल कफ सिरप और कोडीन युक्त दवाओं का अवैध भंडारण और व्यापार किया जा रहा है। यह दवाएं नशे के रूप में इस्तेमाल के लिए भेजी जा रही थीं और इनके खरीदार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश तक फैले हुए थे।उत्तर प्रदेश शासन के पत्र के अनुसार एसटीएफ और खाद्य एवं औषधि प्रसाधन विभाग की संयुक्त जांच समिति बनाई गई थी। जांच के दौरान लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी थाना क्षेत्र में भारी मात्रा में अवैध फेन्सेडिल बरामद की गई थी और मुकदमा पंजीकृत किया गया।
बांग्लादेश में नशे के रूप में इस दवा का खूब होता है इस्तेमाल
एसटीएफ ने गिरफ्तार अभियुक्तों से विस्तृत पूछताछ की। पूछताछ के दौरान विभोर राणा और विशाल सिंह ने बताया कि वर्ष 2018 में उन्होंने जी.आर. ट्रेडिंग, सहारनपुर नामक फर्म बनाई और एबॉट कंपनी से फेन्सेडिल कफ सिरप की सुपर डिस्ट्रीब्यूशनशिप ली। उनका दावा था कि यह दवा बांग्लादेश में नशे के रूप में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होती है।अभियुक्तों ने कहा कि अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से उन्होंने परिचितों के नाम पर ड्रग लाइसेंस बनवाए और फर्जी फर्मों के जरिए खरीद-फरोख्त को केवल कागजों में दिखाया। वास्तविक दवा को नशे के लिए इस्तेमाल करने वाले तस्करों को बेचा जाता था।
सचिन कुमार को हरिद्वार, उत्तराखंड में सुपर डिस्ट्रीब्यूटर बनाया
उन्होंने आगे बताया कि वर्ष 2021 में जौनपुर, बनारस और मालदा में कई जगह एसटीएफ और एनसीबी ने माल पकड़ा, जिसके बाद उनकी फर्म और फर्जी फर्म सचिन मेडिकोस का नाम विभिन्न नोटिसों में आया। वर्ष 2022 में एनसीबी वेस्ट बंगाल द्वारा विभोर राणा को गिरफ्तार किया गया था।फिर उन्होंने फर्म मारुति मेडिकोज बनाई और सचिन कुमार को हरिद्वार, उत्तराखंड में सुपर डिस्ट्रीब्यूटर बनाया। इसके माध्यम से फेन्सेडिल की तस्करी जारी रही। उनके अन्य सहयोगियों में अभिषेक शर्मा, शुभम शर्मा, संदीप शर्मा, दीपक राणा, संजय शर्मा और सी.ए. अरुण सिंघल शामिल थे।
जांच का दायरा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तक बढ़ा
पूछताछ में यह भी सामने आया कि विभोर राणा और विशाल सिंह ने फेन्सेडिल तस्करी से लगभग 200 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित की। उनका यह कारोबार वर्षों तक चलता रहा और इसके लिए उन्होंने कई फर्जी फर्में बनाई।चारों गिरफ्तार आरोपियों को मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट, सहारनपुर के सामने पेश किया गया और ट्रांजिट डिमांड प्राप्त की गई। लखनऊ में उन्हें पहले से पंजीकृत मुकदमा के तहत अग्रिम कार्रवाई के लिए लाया जाएगा।एसटीएफ की टीम, अपर पुलिस अधीक्षक लाल प्रताप सिंह के पर्यवेक्षण में, अभियुक्तों से मिले दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और बैंक लेन-देन की जांच कर रही है। इसका उद्देश्य फेन्सेडिल के अवैध व्यापार का पूरा नेटवर्क उजागर करना और संबंधित सभी व्यक्तियों को न्याय के कटघरे में लाना है। एसटीएफ और खाद्य एवं औषधि विभाग ने इस तस्करी को रोकने और दवाओं के अवैध वितरण को समाप्त करने के लिए सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। जांच का दायरा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तक फैलाया गया है और फेन्सेडिल तस्करी में शामिल सभी फर्मों और सहयोगियों की पहचान की जा रही है।
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