लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। समाजवादी पार्टी से निष्कासित विधायक पूजा पाल (Pooja Pal) और एमएलए रागिनी सोनकर (Ragini Sonkar) के बीच जुबानी जंग जारी है। दोनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिता की विरासत से विधायक बनने वाले बयान पर रागिनी सोनकर ने पलटवार करते हुए कहा कि पूजा पाल ने आधी आबादी का अपमान किय है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि पूजा को लेकर दिए उनके बयान को बयान को भ्रामक तरीके से प्रसारित किया गया।
मीडिया पर भड़कीं सपा विधायक
सपा विधायक रागिनी सोनकर ने इंटरनेट मीडिया एक्स पर एक लंबा चौड़ा पोस्ट करते हुए कहा कि आज के समय में स्थिति कुछ ऐसी हो गई है कि लोग बिना पूरी सच्चाई जाने केवल सुर्खियों और भ्रामक टैगलाइन से अपना नजरिया बना लेते हैं। यह ठीक वैसा ही है जैसे पुराने समय में लोग कहते थे 'कौवा कान ले गया' तो लोग कान को संभालने के बजाय कौवे को ढूंढते रह जाते थे। आज की मीडिया भी कई बार उसी ढंग से काम करती है।
मैंने सीधा सवाल किया
विधानसभा सत्र के आखिरी दिन जब मैं अपने क्षेत्र के लिए निकल रही थी, तभी एक पत्रकार ने मुझसे प्रश्न किया कि 'आपकी पार्टी में पीडीए की महिलाओं के साथ बहुत अत्याचार हो रहा है।' जब मैंने उनसे संदर्भ पूछा तो उन्होंने कहा कि 'पूजा पाल जी को निष्कासित कर दिया गया।' मैंने उनसे सीधा सवाल किया कि पूजा पाल जी किस पार्टी में हैं?
पूजा पाल को परिणाम स्वीकार करना चाहिए
क्योंकि यह तथ्य सबको पता होना चाहिए कि वह समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ीं और हमारे कार्यकर्ताओं की वजह से विधायक बनीं। लेकिन बाद में उन्होंने क्रॉस वोटिंग की और पार्टी से दूरी बना ली। यह उनकी निजी परिस्थिति रही होगी, लेकिन इसका परिणाम भी उन्हें स्वीकार करना पड़ा।
सपा ने जो किया भाजपा भी यही करती
मुझे पत्रकार से ही यह पता चला कि उन्होंने मुख्यमंत्री की तारीफ भी की है। यह उनकी व्यक्तिगत सोच है, उस पर मैं कुछ टिप्पणी नहीं करना चाहती। लेकिन सवाल यह है कि अगर भाजपा का कोई विधायक अखिलेश यादव जी की प्रशंसा करता या क्रॉस वोट करता, तो क्या भाजपा उसे पार्टी में बनाए रखती? बिल्कुल नहीं।
पीडीए पर टिप्पणी करने पर दिया जवाब
अब जहां तक पूजा पाल के ट्वीट की बात है, उन्होंने पीडीए का हवाला देते हुए यह टिप्पणी की कि 'एक महिला विधायक केवल पिता की विरासत से राजनीति में आई है।' यह कहते हुए वे शायद भूल गईं कि पीडीए में ‘पिछड़े’, ‘दलित’ और सबसे बड़ी आबादी ‘आधी आबादी’ यानी महिलाएं शामिल हैं और मैं उसी आधी आबादी की प्रतिनिधि हूं।
महिलाओं को मेहनत और योग्यता से आगे आने का हक
उनका यह कहना कि राजनीति में महिलाएं केवल पिता, पति, भाई या किसी पुरुष के सहारे ही आगे बढ़ सकती हैं, बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। आज चाहे महिला पिछड़े वर्ग से हो, दलित से, आदिवासी से या किसी भी वर्ग से, उसे राजनीति में अपनी मेहनत और योग्यता से आगे आने का हक है। केवल वंशवाद या पुरुष-आश्रित राजनीति तक महिला की भूमिका सीमित मानना, आधी आबादी का अपमान है।
मीडिया 'कौवा कान ले गया' कहानियों तक सीमित न रहे
इस पूरे प्रकरण में विभिन्न लोगों ने जात-पात और व्यक्तिगत टिप्पणियां करके वास्तविक मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश की। पर सच्चाई यह है कि किसी भी संगठन या पार्टी में अनुशासन सर्वोपरि होता है। और अंत में, मेरी मीडिया बंधुओं से यही अपील है कि वे सत्य को सामने रखें। भ्रामक टैगलाइन लगाकर जनता को गुमराह न करें। जनता को पूरी सच्चाई जानने का अधिकार है, न कि केवल 'कौवा कान ले गया' वाली कहानियों तक सीमित रहने का।
यह भी पढ़ें: Crime News: हाथरस में 25 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपी प्रधानाचार्य को ईओडब्लू की टीम ने किया गिरफ्तार
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पूजा पाल ने आधी आबादी का किया अपमान : पिता की विरासत वाली टिप्पणी पर भड़कीं रागिनी सोनकर, कहा दी ये बड़ी बात
Pooja Pal vs Ragini Sonkar : Samajwadi Party से निष्कासित विधायक पूजा पाल और एमएलए रागिनी सोनकर के बीच जुबानी जंग जारी है। दोनों के बीच आरोप—प्रत्यारोप का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पूजा की टिप्पणी पर अब रागिनी सोनकर ने पलटवार किया है।
पूजा पाल और एमएलए रागिनी सोनकर के बीच जुबानी जंग जारी Photograph: (Google)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। समाजवादी पार्टी से निष्कासित विधायक पूजा पाल (Pooja Pal) और एमएलए रागिनी सोनकर (Ragini Sonkar) के बीच जुबानी जंग जारी है। दोनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिता की विरासत से विधायक बनने वाले बयान पर रागिनी सोनकर ने पलटवार करते हुए कहा कि पूजा पाल ने आधी आबादी का अपमान किय है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि पूजा को लेकर दिए उनके बयान को बयान को भ्रामक तरीके से प्रसारित किया गया।
मीडिया पर भड़कीं सपा विधायक
सपा विधायक रागिनी सोनकर ने इंटरनेट मीडिया एक्स पर एक लंबा चौड़ा पोस्ट करते हुए कहा कि आज के समय में स्थिति कुछ ऐसी हो गई है कि लोग बिना पूरी सच्चाई जाने केवल सुर्खियों और भ्रामक टैगलाइन से अपना नजरिया बना लेते हैं। यह ठीक वैसा ही है जैसे पुराने समय में लोग कहते थे 'कौवा कान ले गया' तो लोग कान को संभालने के बजाय कौवे को ढूंढते रह जाते थे। आज की मीडिया भी कई बार उसी ढंग से काम करती है।
मैंने सीधा सवाल किया
विधानसभा सत्र के आखिरी दिन जब मैं अपने क्षेत्र के लिए निकल रही थी, तभी एक पत्रकार ने मुझसे प्रश्न किया कि 'आपकी पार्टी में पीडीए की महिलाओं के साथ बहुत अत्याचार हो रहा है।' जब मैंने उनसे संदर्भ पूछा तो उन्होंने कहा कि 'पूजा पाल जी को निष्कासित कर दिया गया।' मैंने उनसे सीधा सवाल किया कि पूजा पाल जी किस पार्टी में हैं?
पूजा पाल को परिणाम स्वीकार करना चाहिए
क्योंकि यह तथ्य सबको पता होना चाहिए कि वह समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ीं और हमारे कार्यकर्ताओं की वजह से विधायक बनीं। लेकिन बाद में उन्होंने क्रॉस वोटिंग की और पार्टी से दूरी बना ली। यह उनकी निजी परिस्थिति रही होगी, लेकिन इसका परिणाम भी उन्हें स्वीकार करना पड़ा।
सपा ने जो किया भाजपा भी यही करती
मुझे पत्रकार से ही यह पता चला कि उन्होंने मुख्यमंत्री की तारीफ भी की है। यह उनकी व्यक्तिगत सोच है, उस पर मैं कुछ टिप्पणी नहीं करना चाहती। लेकिन सवाल यह है कि अगर भाजपा का कोई विधायक अखिलेश यादव जी की प्रशंसा करता या क्रॉस वोट करता, तो क्या भाजपा उसे पार्टी में बनाए रखती? बिल्कुल नहीं।
पीडीए पर टिप्पणी करने पर दिया जवाब
अब जहां तक पूजा पाल के ट्वीट की बात है, उन्होंने पीडीए का हवाला देते हुए यह टिप्पणी की कि 'एक महिला विधायक केवल पिता की विरासत से राजनीति में आई है।' यह कहते हुए वे शायद भूल गईं कि पीडीए में ‘पिछड़े’, ‘दलित’ और सबसे बड़ी आबादी ‘आधी आबादी’ यानी महिलाएं शामिल हैं और मैं उसी आधी आबादी की प्रतिनिधि हूं।
महिलाओं को मेहनत और योग्यता से आगे आने का हक
उनका यह कहना कि राजनीति में महिलाएं केवल पिता, पति, भाई या किसी पुरुष के सहारे ही आगे बढ़ सकती हैं, बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। आज चाहे महिला पिछड़े वर्ग से हो, दलित से, आदिवासी से या किसी भी वर्ग से, उसे राजनीति में अपनी मेहनत और योग्यता से आगे आने का हक है। केवल वंशवाद या पुरुष-आश्रित राजनीति तक महिला की भूमिका सीमित मानना, आधी आबादी का अपमान है।
मीडिया 'कौवा कान ले गया' कहानियों तक सीमित न रहे
इस पूरे प्रकरण में विभिन्न लोगों ने जात-पात और व्यक्तिगत टिप्पणियां करके वास्तविक मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश की। पर सच्चाई यह है कि किसी भी संगठन या पार्टी में अनुशासन सर्वोपरि होता है। और अंत में, मेरी मीडिया बंधुओं से यही अपील है कि वे सत्य को सामने रखें। भ्रामक टैगलाइन लगाकर जनता को गुमराह न करें। जनता को पूरी सच्चाई जानने का अधिकार है, न कि केवल 'कौवा कान ले गया' वाली कहानियों तक सीमित रहने का।
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