लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। प्रचंड गर्मी में लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों में बिजली कटौती से हाहाकर मचा है। सैकड़ों परिवार जहां रतजगा के लिए मजबूर हैं। वहीं, पावर कारपोरेशन निर्बाध सप्लाई का दावा करके अपनी पीठ थपथपा रहा है। शुक्रवार को यूपीपीसीएल ओर से ट्रांसफार्मरों की क्षति में कमी के आंकड़े ने जारी किए गए। इसमें दावा किया कि पिछले वर्षों के मुकाबले 2025-26 के सिर्फ अप्रैल और मई महीने में ही 3233 ट्रांसफार्मर कम क्षतिग्रस्त हुए है। इससे प्रदेशवासियों को बिना किसी बाधा के बिजली मिल रही है। जबकि जमीनी हकीकत इससे उलट है।
बिजली व्यवस्था बेपटरी
राजधानी समेत प्रदेश में अधिकांश जिलों में एबीसी केबल जलने से बिजली व्यवस्था बार-बार बेपटरी हो रही है। ट्रांसफार्मर हाफ रहे हैं। इसके अलावा ट्रिपिंग और रह-रह कर होती रोस्टरिंग के कारण लोगों की रातों की नींद उड़ गई है। रात में भी पड़ रही भीषण गर्मी के कारण लोग तो ठीक से सो नहीं रहे हैं। शाम और दिन की कटौती से व्यापार चौपट हो रहा है। बच्चों की पढ़ाई और किसानों के सिंचाई प्रभावित हो रही है। नाराज उपभोक्ता आए दिन बिजली उपकेन्द्रों का घेराव कर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच पावर कारपोरेशन बिजली आपूर्ति को पटरी पर लाने के बजाय खुद की वाहवाही में मशगूल है।
ट्रांसफार्मरों की क्षति घटने का दावा
यूपीपीसीएल के अध्यक्ष आशीष कुमार गोयल का दावा है कि वर्ष 2022-23 में अप्रैल-मई में 90 पावर ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त हुए थे। 2023-24 में यह संख्या घटकर 61 हो गई। 2024-25 में 42 ट्रांसफार्मर फुंके और 2025-26 में सिर्फ 12 पावर ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त हुए। तीन साल में पावर ट्रांसफार्मरों की क्षति में 87 फीसद से अधिक की कमी आई है।
सुधार के दावे, स्थिति जस की तस
यूपीपीसीएल बिजली व्यवस्था में सुधार के में तमाम दावे का रहा है, लेकिन सच्चाई इससे परे है। कारपोरेशन का दावा है कि 2022-23 में 7322 ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त हुए थे। 2023-24 में यह संख्या घटकर 4906 हुई। 2024-25 में 3801 ट्रांसफार्मर फुंके, जबकि 2025-26 में अप्रैल-मई में केवल 2613 क्षतिग्रस्त हुए। यह वर्ष 2022-23 की तुलना में 64 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्शाता है। वहीं, लखनऊ के उपकेंद्रों में ट्रांसफार्मर को ठंडा रखने के लिए कूलर का सहारा लिया जा रहा है। गोल चौराहा के पास अलीगंज में ट्रांसफॉर्मर को ओवरहीट होने से बचाने के लिए ऐसे ही ठंडा किया जा रहा है।
100 केवीए से नीचे के ट्रांसफार्मरों में भी कमी
वर्ष 2022-23 में जहां 34,350 ट्रांसफार्मर फुंके थे। वहीं 2024-25 में यह संख्या घटकर 33,595 रही और 2025-26 के दो महीनों में यह और घटकर 31,580 पर आ गई। इस तरह पिछले वर्ष की तुलना में 2015 कम ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त हुए हैं।
आधिकारियों पर कार्रवाई कर झाड़ा जा रहा पल्ला
यूपीपीसीएल की ओर को बेपटरी हुई बिजली आपूर्ति को सुधारने की दिशा में काम करने के बजाय कुछ एक अधिकारियों पर कार्रवाई कर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ा जा रहा है। आशीष गोयल के मुताबिक, ट्रांसफार्मरों के डैमेज को रोकने के लिए बेल प्रोटेक्शन सिस्टम, वितरण ट्रांसफार्मरों पर टेललेस यूनिट और फ्यूज यूनिट लगाए गए हैं। लगातार मॉनीटरिंग, मैकेनिकल फॉल्ट ट्रैकिंग और रखरखाव की समीक्षा की गई। जहां ट्रांसफार्मर फुंके, वहां जिम्मेदार अभियंताओं पर कार्रवाई सुनिश्चित की गई। प्रदेश भर में कई अधिशासी अभियंता, एसडीओ और अवर अभियंता कार्रवाई की जद में आए।