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निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन करते बिजली कर्मचारी Photograph: (VKSSSUP)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। निजीकरण का विरोध करने पर उत्पीड़नात्मक कार्रवाईयों से बिजली कर्मियों में आक्रोश है। कर्मचारियों ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के लिए उतावला पावर कॉरपोरेशन एक साल से उनका उत्पीड़न कर रहा है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों का आरोप लगाया कि 55 साल की उम्र का हवाला देते हुए हजारों संविदा कर्मियों को नौकरी से निकाल दिया गया। बिजली कर्मियों के दो से 400 किमी दूर तबादले किए जा रहे हैं। उत्पीड़न के नाम पर विजिलेंस की जांच कराकर शीर्ष पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई हैं।
उत्पीड़न से निगमों में काम का मौहाल बिगड़ा
पदाधिकारियों ने कहा कि एक साल से आंदोलनरत कर्मचारियों ने भीषण गर्मी में 31618 मेगावाट बिजली की आपूर्ति कर देश में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। उनके सतत प्रयासों के कारण उत्तर प्रदेश में लगातार छह वर्षों से बिजली की दरों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। इसके बावजूद पॉवर कॉरपोरेशन बिजली कर्मियों का उत्पीड़न कर निगमों में काम का मौहाल बिगाड़ रहा है।
बिजली कर्मियों ने विरोध प्रदर्शन जारी
संगठन के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि हाल ही में 87 अभियंताओं को ड्यूटी के बाद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में हिस्सा न लेने पर उनका प्रमोशन रोक दिया गया। दुबे ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अनुरोध किया निजीकरण का फैसला निरस्त कराकर पॉवर कॉरपोरेशन को उत्पीड़नात्मक कार्रवाईयां समाप्त करने का निर्देश दें। उन्होंने बताया कि निजीकरण के विरोध में 362वें दिन बिजली कर्मियों ने विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
Electricity Privatisation | VKSSSUP
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