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निजीकरण के खिलाफ 22 जुलाई को प्रदर्शन का एलान Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारियों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने 22 जुलाई को प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन का एलान किया है। समिति ने चेतावनी दी कि बिजली कर्मियों का उत्पीड़न पर नहीं रोका गया तो संघर्ष और तेज किया जाएगा। पदाधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता विगत आठ माह से पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। निजीकरण विरोधी आंदोलन से बड़ी संख्या में किसान, बुनकर, व्यापारी, उद्यमी और उपभोक्ता जुड़ रहे हैं। इससे तैश में आकर पावर कारपोरेशन कार्मिकों के घर में स्मार्ट मीटर लगाकर रियायती बिजली की सुविधा समाप्त करने की कोशिश कर रहा है। इससे बिजली कर्मचारी, पेंशनर और उनके परिवार प्रभावित हो रहे हैं।
जून का वेतन नहीं मिला
उन्होंने कहा कि फेशियल अटेंडेंस के नाम पर कई हजार बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं का जून माह का वेतन रोक दिया गया है। यह सभी कर्मचारी अपनी ड्यूटी पर आ रहे हैं। लेकिन जुलाई माह की 18 तारीख हो जाने तक इन कर्मचारियों को जून माह का भी वेतन नहीं दिया गया है। इससे पहले निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन में शामिल होने वाली महिला कर्मचारियों को चिन्हित कर हजारों की तादाद में दूरस्थ स्थानों पर ट्रांसफर किया गया और उन्हें बिना प्रतीक्षा किए तत्काल कार्य मुक्त कर दिया गया। संविदा कर्मचारियों को मनमाने ढंग से छटनी करके निकाल दिया गया। लगभग 45 प्रतिशत संविदा कर्मचारी सेवाओं से बर्खास्त कर दिए गए।
उत्पीड़न नहीं रुका तो आंदोलन होगा तेज
समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि ये कार्रवाईयां बिजली कंपनियों के निजीकरण के लिए की जा रही हैं। बिजली कर्मियों के मन में खौफ पैदा किया जा रहा है। पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष की इन कार्यवाहियों से ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण बन गया है। चेतावनी दी कि उत्पीड़न पर अंकुश नहीं लगाया गया तो 22 जुलाई को सभी बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने बताया कि निजीकरण के विरोध में आज लगातार 233 वें दिन बिजली कर्मियों ने का विरोध प्रदर्शन जारी रहा।
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Electricity Privatisation | Vksssup | Protest 22 July