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महंगी बिजली और ​निजीकरण नहीं मंजूर, जनसुनवाइयों में फूटा जनाक्रोश

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि चारों जगहों पर उपभोक्ता इस बात से सबसे ज्यादा नाराज हुए कि बिजली कंपनियों पर 33122 करोड़ सर प्लस निकलने के बावजूद भी विद्वुत दरें कम करने के बजाय उसमें बढ़ोतरी की जा रही है।

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Deepak Yadav
Expensive electricity and privatization are not acceptable

महंगी बिजली और ​निजीकरण के खिलाफ फूटा जनाक्रोश Photograph: (google)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। बिजली दरों में 45 फीसदी प्रस्तावित वृद्धि को लेकर अभी तक चार जनपदों में जनसुनवाई हो चुकी है। नियामक आयोग की ओर वाराणसी, आगरा, नोएडा और मेरठ में हुई सुनवाई के दौरान उपभोक्ताओं, किसानों, बुनकरों और कारोबारियों ने बिजली दरों में बढ़ोतरी और निजीकरण का प्रस्ताव तत्काल निरस्त करने की मांग जोरशोर से उठाई। इसके अलावा प्रीपेड मीटर तेज चलने की शिकायत, किसानों को फ्री बिजली के बाद भी बिल भेजे जाने का मुद्दा भी छाया रहा।

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31222 करोड़ सरप्लस के बावजूद नहीं घटी बिजली दरें

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि चारों जगहों पर उपभोक्ता इस बात से सबसे ज्यादा नाराज हुए कि बिजली कंपनियों पर 33122 करोड़ सर प्लस निकलने के बावजूद भी विद्वुत दरें कम करने के बजाय उसमें बढ़ोतरी की जा रही है। वहीं किसानों, बुनकरों और उद्यमियों का मानना है कि बिजली व्यवस्था सरकारी क्षेत्र में ही रहनी चाहिए। निजीकरण के दोनों प्रयोग टोरेंट पावर और नोएडा पावर कंपनी के खिलाफ किसानों का गुस्सा देखने को मिला। 

नोएडा पावर कंपनी में ट्रांसफर घोटाला उजागर

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टोरेंट पावर के अनुबंध को जहां समाप्त करने की मांग उठी। वहीं, नोएडा पावर कंपनी में बड़े पैमाने पर ट्रांसफर घोटाले का भी मामला सामने आया। वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को मान लेना चाहिए कि निजीकरण और बिजली दर बढ़ोतरी के खिलाफ जनता में भारी आक्रोश है। ऐसे में इन दोनों प्रस्ताव को खारिज कर देना चाहिए। 

24,022 करोड़ का घाटा प्रस्तावित

अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों पूर्वांचल, दक्षिणांचल, पश्चिमांचल, मध्यांचल और केस्को की ओर से विद्युत नियामक आयोग में लगभग 113060 करोड़ का वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) दाखिल किया गया। इस वर्ष लगभग 86,952 करोड़ रुपये की बिजली खरीदी जानी है। वहीं प्रदेश सरकार की तरफ से 17,511 करोड़ रुपये राजकीय सब्सिडी मिलनी है। पावर कारपोरेशन ने वर्ष 2025-26 में लगभग 19,644 करोड़ का घाटा दिखाया है। ट्रू अप वर्ष 2023-24 के लिए 4,378 करोड़ का घाटा बताया गया है। सब मिलाकर लगभग 24,022 करोड़ रुपये का घाटा प्रस्तावित है। 

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21 जुलाई को एमवीवीएनएल की सुनवाई

इस घाटे की भरपाई के लिए बिजली दरें 45 प्रतिशत बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। इसको लेकर पूर्वांचल, दक्षिणांचल, पश्चिमांचल और निजी क्षेत्र नोएडा पावर कंपनी में भी सुनवाई हो चुकी है। इनमें उन्होंने खुद भाग लिया। सुनवाई पूरा होने बाद लखनऊ पहुंचने पर उपभोक्ता, किसान, बुनकर और कार्मिकों का गुस्सा बिजली दरों में प्रस्तावित बढ़ोतरी और निजीकरण के खिलाफ देखने को मिला। उन्होंने बताया कि 21 जुलाई को मध्यांचल विद्युत वितरण निगम की सुनवाई लखनऊ में नियामक आयोग सभागार में होगी।

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Electricity Privatisation | Upbhotga Parishad | UPRVUP

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