/young-bharat-news/media/media_files/2025/10/06/protest-against-electricity-privatisation-2025-10-06-20-31-53.jpg)
निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन करते बिजली कर्मचारी Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कैबिनेट मंत्रियों के साथ हुए लिखित समझौते का हवाला देते हुए बिजली के निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त करने की मांग की। वहीं, सोमवार को समझौते के पांच साल पूरा होने पर बिजली कर्मियों ने उसकी प्रतियां लेकर प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने समझौते का सम्मान करो, निजीकरण वापस लो के नारे लगाए।
समझौते के उल्लंघन का आरोप
समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि छह अक्टूबर 2020 को वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से वार्ता के बाद लिखित समझौता हुआ था। इसके पहले बिन्दु में जिक्र है कि कर्मचारियों और अभियंताओं को विश्वास में लिये बिना उत्तर प्रदेश में किसी भी स्थान पर कोई निजीकरण नहीं किया जायेगा।
314 दिन से आंदोलन जारी
समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि मंत्रियों के साथ किए कि समझौते को दरकिनार कर पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण किया जा रहा है। इसके विरोध में प्रदेश के ऊर्जा निगमों के कार्मिक लगातार 314 दिनों से सड़क पर उतरकर आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समझौते के एक महीने के भीतर सुधार का प्रस्ताव दे दिया था। लेकिन पावर कारपोरेशन ने अभी तक इस पर कोई वार्ता नहीं की।
VKSSSUP | Electricity Privatisation | uppcl | uppcl news
यह भी पढ़ें- लखनऊ में आशा-संगिनी कार्यकर्ताओं ने भरी हुंकार, वेतन वृद्धि की उठाई मांग
यह भी पढ़ें- टीए को भुगतान की मंजूरी का कड़ा विरोध, उपभोक्ता परिषद उठाए तीखे सवाल
यह भी पढें टेनिस कोर्ट पर अर्णव और देवांश का दबदबा, दोहरे खिताब किए अपने नाम