लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। बिजली निजीकरण के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने सोमवार को प्रदेश में जनसंपर्क अभियान चलाया। इस दौरान सभाएं कर बिजली कर्मियों को रविवार को हुई महापंचायत के फैसलों से अवगत कराया। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि सामूहिक निजीकरण के खिलाफ जेल भरो आंदोलन में सरकारी कर्मचारियों, शिक्षकों, किसानों और उपभोक्ताओं को जोड़ने के लिए सभी जनपदों और परियोजनाओं पर जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है। इसमें सभी वर्गों को निजीकरण से होने वाले नुकसान के प्रति जागरुक किया जा रहा है।
तबादले रद्द करने की मांग
संगठन ने सीएम योगी से पावर कारपोरेशन में बड़े पैमाने पर स्थानांतरण में पैसे के लेनदेन के मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। समिति के अनुसार, कार्मिकों और अधिकारियों का स्थानांतरण आदेश जारी कर पावर कारपोरेशन ने प्रदेश की बिजली व्यवस्था को इस भीषण गर्मी में पटरी से उतारने का काम किया है। इतने अधिक स्थानांतरण आदेशों से बिजली व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। समिति ने मांग की कि बिना किसी नीति के केवल प्रशासनिक आधार पर किए गए स्थानांतरण आदेश तत्काल निरस्त किए जाए।
Uppcl कर रहा SC के आदेश का उल्लंघन
समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि ट्रांसफर पोस्टिंग में गड़बड़ी को लेकर 1998 में सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप किया था। आदेश दिया था की कोई भी ट्रांसफर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित हाई पावर कमेटी की अनुमति के बिना नहीं किया जाएगा। इस सत्र में किए गए ट्रांसफर आदेश सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का खुला उल्लंघन है।
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