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मिशन शक्ति अभियान के तहत कुछ इस तरह महिलाओं को किया जा रहा जागरूक।
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए चलाया जा रहा मिशन शक्ति अभियान पुलिस की जवाबदेही और संवेदनशीलता को बढ़ाने पर केंद्रित है। अभियान के तहत यह तय किया गया था कि महिला उत्पीड़न, उत्पीड़न से जुड़ी घटनाओं और उनके अधिकारों से संबंधित मामलों में पुलिस तत्काल कार्रवाई करेगी।
शिकायत करने गई महिला को चौकी से भगाया
राजधानी लखनऊ में पुलिस कमिश्नर और वरिष्ठ अधिकारी लगातार चौकियों और थानों को इस मिशन के तहत बेहतर काम करने के निर्देश दे रहे हैं।लेकिन मड़ियांव थाना क्षेत्र के अजीज नगर चौकी का एक मामला इस अभियान पर सवाल खड़े करता है। यहां चोरी की शिकार एक महिला को न्याय दिलाने की बजाय चौकी से भगा दिया गया। महिला 12 दिन तक थाने और चौकी के बीच चक्कर काटती रही। अंततः जब उसने एसीपी अलीगंज से शिकायत की तो मुकदमा दर्ज हो सका।
बेटी की शादी के लिए एफडी तुड़वाकर निकाली थी रकम
भिठौली निवासी सविता, पत्नी स्वर्गीय राजेश, बताशे बनाने का काम करती हैं। उनका कहना है कि 25 अगस्त को उनके पर्स से लॉकर की चाबियां चोरी हो गई थीं। इसके बाद 21 सितंबर को उनके घर में रखे लगभग दो लाख रुपये चोरी हो गए। यह रकम उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए एफडी तुड़वाकर निकाली थी।सविता ने चोरी का शक अपने यहां बताशे बनाने के लिए आने वाली गुड़िया और जयसती नामक महिलाओं पर जताया। वह तुरंत अजीज नगर चौकी पहुंचीं और लिखित शिकायत दी। लेकिन उन्हें न्याय नहीं मिला।
चोरी की शिकायत दर्ज कराने दोबारा पहुंची तब भी नहीं हुई सुनवाई
पीड़िता ने आरोप लगाया कि 27 सितंबर को जब वह दोबारा चौकी गईं तो वहां मौजूद एसआई भूपेंद्र ने उन्हें डांटकर भगा दिया। पीड़िता के अनुसार, पुलिसकर्मी ने कहा,अपने सामान की सुरक्षा खुद करो, पुलिस तुम्हारी नौकर नहीं है। जब वे लोग चोरी मान लें तो हमें बताना।निराश सविता चौकी से वापस लौट आईं। बाद में जब वह मड़ियांव थाने गईं तो वहां के प्रभारी ने भी प्रार्थनापत्र चौकी को ही जांच के लिए भेज दिया।
पुलिस ने फर्जी मुकदमों में फंसाने की दी धमकी
सविता ने बताया कि चौकी इंचार्ज कुछ दिन बाद एक एसआई के साथ उनके घर आए और कहा कि अगले दिन विपक्षियों को बुलाया जाएगा। लेकिन जब वह अगले दिन चौकी पहुंचीं तो चौकी इंचार्ज ने विपक्षियों को 24 घंटे का समय देकर भेज दिया।अगले दिन फिर जब सविता चौकी पहुंचीं तो चौकी प्रभारी ने आरोपियों का पक्ष लेते हुए उन्हें ही धमकी दे डाली। पीड़िता के अनुसार,उन्होंने कहा कि चुपचाप घर जाओ, नहीं तो अगर मुकदमा दर्ज कराने की जिद करोगी तो तुम्हें और तुम्हारे बच्चों को भी फर्जी मुकदमों में फंसा देंगे।
एसीपी से शिकायत के बाद हुई कार्रवाई
लगातार निराशा झेल रही सविता ने आखिरकार 3 अक्टूबर को एसीपी अलीगंज से शिकायत की। शिकायत मिलते ही एसीपी ने मामले को गंभीरता से लिया और मड़ियांव थाने को तत्काल मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया। पुलिस ने उसी दिन चोरी का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी। मड़ियांव पुलिस का कहना है कि शिकायत मिलने में देरी के चलते मामला देर से दर्ज हुआ, लेकिन अब निष्पक्ष जांच की जा रही है।
मिशन शक्ति पर उठे सवाल
यह मामला दिखाता है कि भले ही शासन स्तर पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए मिशन शक्ति जैसे अभियानों को लगातार सशक्त किया जा रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर कई जगह पुलिस की कार्यशैली अभी भी पुरानी सोच में बंधी हुई है। चौकियों और थानों पर शिकायत दर्ज कराने आई महिलाओं को संवेदनशीलता और त्वरित कार्रवाई के बजाय उपेक्षा झेलनी पड़ रही है।
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