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स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत किस्तों में वसूलने पर उठे सवाल : उपभोक्ता परिषद ने कहा- मूल्य तय नहीं, फिर वसूली क्यों?

यूपी में नए बिजली कनेक्शन में लगाए जाने वाले स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत को किस्तों में लिए जाने का आदेश दिया गया है। पावर कारपोरेशन के इस फैसले पर सवाल उठने लगे हैं।

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Deepak Yadav
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स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत किस्तों में वसूल करने पर उठे सवाल Photograph: (Google)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।  यूपी में नए बिजली कनेक्शन में लगाए जाने वाले स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत को किस्तों में लिए जाने का आदेश दिया गया है। पावर कारपोरेशन के इस फैसले पर सवाल उठने लगे हैं। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस मामले पर कड़ी आपत्ति जताई है। परिषद ने नियामक आयोग से मीटर की कीमत तय किए बिना बिजली कंपनियों की ओर से उपभोक्ताओं से की जा रही मनमानी वसूली पर रोक लगाने की मांग की है। 

मूल्य तय नहीं, फिर वसूली क्यों?

परिषद अवधेश वर्मा ने कहा कि प्रदेश की बिजली कंपनियां नए कनेक्शन पर बिना किसी कानूनी मंजूरी के  स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा रही हैं। इसके एवज में उपभोक्ताओं से 6,016 की अवैध वसूली की जा रही है। यह राशि उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा स्वीकृत नहीं है। न ही वर्तमान में स्मार्ट प्रीपेट मीटर की लागत निर्धारित की गई है। वर्मा ने कहा कि नियामक आयोग ने हाल ही में फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दर आयोग ने तय नहीं की है। जिस मीटर की कीमत ही आयोग ने तय नहीं की, उसकी किस्त कैसे वसूली जा सकती है?

उपभोक्ताओं को गुमराह करने का प्रयास

पावर कॉरपोरेशन का मीटर की कीमत किस्तों में वसूलने की बात करना उपभोक्ताओं को गुमराह करने का प्रयास है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में जब कास्ट डाटा बुक बनी थी, तब केवल स्मार्ट मीटर की दर तय हुई थी, जबकि वर्तमान में लगाए जा रहे स्मार्ट प्रीपेड स्मार्ट मीटर के लिए कोई दर निर्धारित नहीं है। यह भी बताया वर्तमान में केंद्र सरकार की आरडीएसएस योजना के तहत पावर कॉरपोरेशन ने जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीदे हैं, उनका भुगतान केंद्र सरकार कर रही है। ये मीटर उन उपभोक्ताओं के लिए हैं जिनके घरों में पहले से पोस्टपेड मीटर स्थापित हैं, उन्हें निःशुल्क बदला जाना अनिवार्य है। उन्हीं मीटरों को लगाकर उपभोक्ताओं से पैसे वसूलना धोखाधड़ी है। 

स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए 6016 वसूलना अनुचित

परिषद अध्यक्ष ने महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां इसी स्मार्ट प्रीपेड मीटर के दाम 2610 रुपये हैं। यूपी में आरडीएसएस के टेंडर के अनुसार सिंगल फेज मीटर की वास्तविक लागत 2200 से 2300 के बीच है। इसके बावजूद 6016 वसूलना पूरी तरह से अनुचित है। वर्मा ने दावा किया कि यूपीपीसीएल के खिलाफ नियामक आयोग ने विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के तहत अवमानना की कार्रवाई शुरू की है। उपभोक्ताओं के साथ किसी भी प्रकार की अवैध वसूली बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि जल्द सुधार नहीं हुआ, तो उपभोक्ता परिषद संवैधानिक लड़ाई लड़ने के लिए बाध्य होगी।

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परिषद की पावर कॉरपोरेशन से मांगें

  • नए बिजली कनेक्शन पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य करना है, तो पहले विद्युत अधिनियम 2003 में संशोधन कराया जाए।
  • विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) का पालन करते हुए सभी उपभोक्ताओं को प्रीपेड या पोस्टपेड मीटर का विकल्प देना चाहिए।
  • प्रदेश में पोस्टपेड उपभोक्ताओं के मीटरों को उनकी सहमति के बिना स्मार्ट प्रीपेड मीटर में बदलना बंद किया जाएं।
  • पावर कॉरपोरेशन राष्ट्रीय कानून और उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के आदेशों के तहत कार्य करे।

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