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लखनऊ में डिजिटल अरेस्ट स्कैम
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। साइबर ठगों का नया तरीका सामने आया है, जिसमें रिटायर्ड रेलवे अफसर और शिक्षक को डिजिटल अरेस्ट कर 30.57 लाख रुपये से अधिक की ठगी की गई। ठगों ने खुद को एटीएस, क्राइम ब्रांच और अन्य एजेंसियों का अधिकारी बताकर पीड़ितों को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का झांसा दिया और जेल भेजने की धमकी देकर रकम वसूली।
रेलवे से रिटायर्ड अफसर से 18 लाख रुपये की ठगी
आलमबाग के गीतानगर निवासी रिटायर्ड रेलवे अफसर तेज बहादुर सिंह ने बताया कि 9 नवंबर को उन्हें अंजान नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाले ने कहा कि उनके आधार कार्ड से एचडीएफसी बैंक में खाता खुला है, जिसमें आतंकी धनराशि का आदान-प्रदान हो रहा है। झांसे में आकर तेज बहादुर ने ठगों से बात करना शुरू किया।ठगों ने उन्हें चार दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर रखा। हर दो घंटे में अपडेट लेने के बाद अगले दिन बयान देने के लिए मुंबई एटीएस के कार्यालय आने के लिए कहा और फिर फोन पर झांसा देकर तेज बहादुर के पत्नी के खाते में 14 लाख रुपये ट्रांसफर करवाए। अगले दिन चार लाख रुपये और हड़प लिए। बैंक द्वारा संदेह जताने पर परिवार को जानकारी मिलने के बाद तेज बहादुर को ठगी का अहसास हुआ।
शिक्षक से छह दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर 12.57 लाख की ठगी
राजाजीपुरम निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक गया प्रसाद त्रिपाठी को सात नवंबर को अंजान नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को एटीएस इंस्पेक्टर बताकर कहा कि उनका नाम पाकिस्तान के लिंक में आया है और जम्मू-कश्मीर में मामला दर्ज है। ठगों ने छह दिन तक उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर 12.57 लाख रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवाए।
साइबर क्राइम पुलिस ने की कार्रवाई
साइबर क्राइम थाने के प्रभारी ब्रजेश कुमार ने बताया कि गया प्रसाद के मामले में दो ठगों के खातों में 2.5 लाख रुपये फ्रीज कर दिए गए। तेज बहादुर की ठगी की रकम भी वापस दिलाने की कोशिश की जा रही है। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए जांच जारी है।
सावधानियां ,अपने खातों को सुरक्षित रखें
अगर आपके बैंक में बड़ी रकम आती है, तो साइबर अपराधियों की नजर आपके खाते पर हो सकती है।
ठग खुद को क्राइम ब्रांच, एटीएस या अन्य एजेंसियों का अधिकारी बताकर डराने का प्रयास करते हैं।
आतंकवाद, मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स या हवाला में नाम जुड़ने की धमकी देकर पैसे वसूले जाते हैं।
ऐसे कॉल आने पर परिवार और नज़दीकी लोगों को तुरंत जानकारी दें, खाते की जानकारी साझा न करें और कोई रकम ट्रांसफर न करें।
शिकायत कैसे करें
साइबर ठगी की घटना पर शिकायत साइबर क्राइम थाने, साइबर सेल, लोकल पुलिस स्टेशन, टोल फ्री नंबर 1930 या वेबसाइट www.cybercrime.gov.in
के माध्यम से दर्ज कराई जा सकती है।
दलित कब्जा दिखाकर हड़पे 100 करोड़आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के लिए जमीन अधिग्रहण में बड़ा घोटाला सामने आया है। लखनऊ के सरोजनीनगर क्षेत्र में ग्राम समाज की जमीनों पर दलितों का कब्जा दिखाकर सरकार से करोड़ों रुपये का मुआवजा हड़पने का मामला सामने आया है। यह हेराफेरी एक्सप्रेसवे के सीमांकन के बाद की गई थी।राजस्व परिषद ने मामले की तत्काल जांच के आदेश दे दिए हैं। जांच के दौरान यह सामने आया कि कई भूमि अधिग्रहण में दलितों का कब्जा दिखाकर जमीन पर असली मालिकों से ज्यादा मुआवजा हड़पने की कोशिश की गई। इस घपले का दायरा 100 करोड़ रुपये से अधिकजमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम-1950 की धारा 122 बी (4 एफ) के अनुसार, किसी जमीन पर अनुसूचित जाति का व्यक्ति 2007 से पहले से काबिज है तो उसे हटाया नहीं जा सकता। इसके बजाय पहले 5 साल के लिए असंक्रमणीय भूमिधर अधिकार और उसके बाद संक्रमणीय भूमिधर अधिकार दिया जाता है, जबकि कृषि भूमि पर यह रकबा 3.5 एकड़ से अधिक नहीं होना चाहिए।उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, अगर ईमानदारी से जांच की जाए तो केवल सरोजनीनगर तहसील में ही इस घपले का दायरा 100 करोड़ रुपये से अधिक है। राजस्व परिषद ने प्रदेश के सभी जिलों में जमीन अधिग्रहण मामलों की समग्र जांच का आदेश दिया है, ताकि इस तरह के और भी घोटाले पकड़े जा सकें। |
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