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रालोद ने उठाई धनगरों को अनूसूचित जाति प्रमाण पत्र जारी करने की मांग Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के महासचिव डॉ. यशपाल बघेल ने कहा कि धनगर जाति के लोग प्रदेश भर में हैं। उन्होंने कहा कि सामाजिक, शैक्षिक और राजनीतिक रूप से पिछड़ी धनगर जाति के लोग प्रमाण पत्र के लिए अभी भी संघर्ष कर रहे हैं। सभी धनगरों के अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र नहीं बना पा रहे हैं।
प्रशासनिक गलती पर जताई नाराजगी
डॉ. बघेल ने मंगलवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय पर प्रेस वार्ता में कहा कि धनगर समाज के अधिकारों की रक्षा में पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजीत सिंह ने अपना पसीना बहाया और अब उनके उत्तराधिकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह इस संघर्ष को आगे बढ़ा रहे हैं। हाल ही में प्रशासनिक गड़बडी के चलते धनगर को 'धंगड' बताया गया। इस पर चौधरी जयंत सिंह ने समाज को आश्वस्त किया है कि सरकार से इस समस्या का स्थायी समाधान कराया जाएगा।
राष्ट्रपति आदेशों में दर्ज हैं धनकर
महासचिव ने कहा कि 1950, 1956, 1976 के राष्ट्रपति आदेशों में 'धनगर' जाति को अनुसूचित जाति के रूप में क्रमांक 27 पर दर्ज किया था। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने तीन दिसंबर 2012 को स्पष्ट किया कि प्रदेश में ‘धंगड’ नहीं, बल्कि ‘धनगर’ ही निवास करते हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 14 मार्च 2012 को फैसला सुनाया कि ‘धनगर’ जाति यूपी में पाई जाती है और लाभ की पात्र है।
धनगर को 'धंगड' कहना असंवैधानिक
डॉ. बघेल ने कहा कि 15 सितंबर 2017 को तत्कालीन अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष ने बिना प्रक्रिया के 'धनगर' को 'धंगड' किया जाना पूरी तरह असंवैधानिक है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश के कुछ वर्ग विशेष के प्रशासनिक अधिकारी जानबूझकर धनगर समाज को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने का षड्यंत्र कर रहे हैं।
धनगरों को जारी हो एससी के प्रमाण पत्र
उन्होंने मांग की कि 'एक देश, एक झंडा, एक संविधान' की भावना के अनुरूप, एक ही जाति के दो प्रमाण पत्र नहीं हो सकते। इसलिए प्रदेश के समस्त धनगर समाज को ‘धनगर’ अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र तत्काल जारी कराया जाए। इस दौरान श्रम प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष महेश पाल धनगर, जगजीवन पाल, दीपू पाल धनगर, सरवन पाल धनगर, रामनाथ पाल धनगर, संतोष पाल धनगर, करण धनगर, हरिशंकर पाल धनगर, आदि लोग मौजूद रहे।
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