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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। राजधानी लखनऊ स्थित लोक भवन में मंगलवार को आयोजित आपातकाल स्मृति कार्यक्रम के दौरान उस समय हंगामे की स्थिति उत्पन्न हो गई, जब आमंत्रण के बावजूद बीजेपी के पार्षदों और पार्टी पदाधिकारियों को कार्यक्रम में प्रवेश नहीं दिया गया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति के चलते सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे, मगर व्यवस्था में समन्वय की कमी से मामला विवादास्पद हो गया।
बाहर रोके गए पार्षद और कार्यकर्ता
बीजेपी के कई पार्षदों और कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उन्हें बाकायदा फोन कॉल और सीट नंबर के साथ कार्यक्रम में बुलाया गया था। एक पार्षद ने बताया कि हमसे कहा गया था कि आपकी 187 नंबर सीट है और दोपहर ढाई बजे पहुंचना है। तय समय पर पहुंचने के बावजूद मेन गेट बंद कर दिया गया और हमें प्रवेश नहीं मिला। स्थिति तब और बिगड़ गई जब कार्यकर्ताओं की भीड़ बढ़ती चली गई और नाराज नेताओं ने लोक भवन के बाहर नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
प्रशासन ने दी सफाई
हालात बिगड़ते देख मौके पर लखनऊ पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, जिनमें लखनऊ मंडलायुक्त भी शामिल थे, तत्काल मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने स्थिति को संभालते हुए बताया कि ऑडिटोरियम की क्षमता पूरी हो जाने के कारण ही प्रवेश रोका गया था। हालांकि लगभग 20 मिनट की नोकझोंक और हंगामे के बाद कुछ लोगों को प्रवेश की अनुमति दी गई।
पार्टी के अंदर उठे सवाल
इस अव्यवस्था को लेकर पार्टी के अंदर भी आलोचना के स्वर सुनाई दिए। कुछ नेताओं ने संगठन और प्रशासन के बीच समन्वय की कमी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। वहीं कार्यकर्ताओं ने इसे अपमानजनक बताते हुए भविष्य में इस तरह की लापरवाही न दोहराए जाने की मांग की। यहां बता दें कि कार्यक्रम का आयोजन आपातकाल की स्मृति में किया गया था, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई वरिष्ठ नेता, मंत्री और गणमान्य नागरिक शामिल हुए। कार्यक्रम के माध्यम से 1975 के आपातकाल को याद कर लोकतंत्र की रक्षा के संकल्प को दोहराया गया।
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