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बिजली निजीकरण के खिलाफ 231वें दिन भी संघर्ष समिति का प्रदर्शन जारी, कहा-जनता पर इसे जबरन न थोपें

संघर्ष समिति ने कहा कि ओडिशा में टाटा पावर उपभोक्ताओं को बिजली सेवाएं देने में लगातार लापरवाही बरत रहा है। इसी को लेकर ओडिशा विद्युत नियामक आयोग ने 21 जून को टाटा पावर की चारों वितरण कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

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Abhishek Mishra
Sangharsh Samiti protest against electricity privatization

बिजली निजीकरण के खिलाफ 231वें दिन भी संघर्ष समिति का प्रदर्शन जारी Photograph: (YBN)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में चल रहा विद्युत कर्मचारियों का आंदोलन बुधवार को 231वें दिन भी जारी रहा। प्रदेशभर के सभी जनपदों और परियोजनाओं में विरोध सभाएं आयोजित की गईं। इस बीच, विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि ओडिशा में बिजली निजीकरण की दूसरी बार हुई विफलता को देखते हुए यूपी की गरीब जनता पर इसे जबरन न थोपा जाए।

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सेवाएं देने में लापरवाही 

संघर्ष समिति ने कहा कि ओडिशा में टाटा पावर उपभोक्ताओं को बिजली सेवाएं देने में लगातार लापरवाही बरत रहा है। इसी को लेकर ओडिशा विद्युत नियामक आयोग ने 21 जून को टाटा पावर की चारों वितरण कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। 15 जुलाई को हुई सुनवाई में कंपनियों के सीईओ आयोग को कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए, जिसके बाद आयोग ने अगले एक महीने में जनसुनवाई कराने का आदेश दिया है।

ओडिशा में उपभोक्ताओं की शिकायतें बढ़ीं

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आयोग के अनुसार, टाटा पावर उपभोक्ताओं को समय पर कनेक्शन नहीं दे पा रही है, खासतौर पर गरीब और एक किलोवाट कनेक्शन लेने वाले उपभोक्ताओं को परेशान किया जा रहा है। नियामक आयोग के नोटिस में कहा गया है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 43 और ओडिशा स्टैंडर्ड ऑफ परफॉर्मेंस रेगुलेशन 2004 के तहत तय समय सीमा में कनेक्शन देना अनिवार्य है, लेकिन टाटा पावर इसमें असफल रही है। इसके अलावा, टाटा पावर न तो विद्युत इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार कर पा रहा है और न ही उच्च वोल्टेज फीडरों की मरम्मत हो रही है, जिससे वोल्टेज में भारी उतार-चढ़ाव की समस्या बनी हुई है।

पहले भी फेल हो चुका है निजीकरण

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि ओडिशा पहला ऐसा राज्य है जहां वर्ष 1999 में पूरे राज्य की विद्युत व्यवस्था का निजीकरण किया गया था। अमेरिका की AES कंपनी एक साल में ही ओडिशा छोड़कर भाग गई थी। इसके बाद रिलायंस समूह को भी काम मिला, लेकिन फरवरी 2015 में तीनों कंपनियों का लाइसेंस रद्द कर दिया गया। वर्ष 2020 में कोरोना काल के दौरान टाटा पावर को चारों कंपनियों का लाइसेंस मिला, जो अब उपभोक्ता सेवाओं में विफल साबित हो रही हैं।

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यूपी में निजीकरण और भी घातक साबित होगा

समिति ने कहा कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का भौगोलिक क्षेत्र ओडिशा से कहीं अधिक बड़ा है और यहां कृषि और ग्रामीण क्षेत्र की हिस्सेदारी 35% से ज्यादा है, जबकि ओडिशा में यह केवल 4% है। ऐसे में यह प्रयोग यूपी में और भी अधिक नुकसानदेह साबित हो सकता है।

बिजली का निजीकरण तुरंत रोका जाए

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संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि ओडिशा के अनुभव को देखते हुए प्रदेश में बिजली का निजीकरण तुरंत रोका जाए। समिति ने आरोप लगाया कि पावर कॉर्पोरेशन के कुछ अधिकारी निजीकरण के समर्थन में निहित स्वार्थ के तहत काम कर रहे हैं, जो यूपी की गरीब जनता को अंधेरे में धकेलना चाहते हैं।

इन जिलों में हुआ जोरदार विरोध प्रदर्शन

वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, हरदुआगंज, जवाहरपुर, परीक्षा, पनकी, ओबरा, पिपरी और अनपरा सहित प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शन किए गए।

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