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संघर्ष समिति ने यूपीपीसीएल पर लगाए गंभीर आरोप Photograph: (YBN)
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने दावा किया कि बिजली निजीकरण के प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) दस्तावेज पर नियामक आयोग के अध्यक्ष को अभिमत देने का कानूनी अधिकार नहीं है। ऐसे में आयोग को दागी सलाहकार कंपनी की ओर से निजीकरण के लिए तैयार किए आरएफपी पर अपनी राय नहीं देनी चाहिए।
निजीकरण दस्तावेज पर नहीं देना चाहिए अभिमत
समिति के पदाधिकारियों ने बृहस्पतिवार को कहा कि पावर कारपोरेशन के चेयरमैन डॉ. आशीष गोयल, निदेशक वित्त निधि नारंग, आयोग के सदस्य संजय सिंह और सलाहकार कंपनी ग्रांट थॉर्नटन के सदस्य विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविन्द कुमार से मिले। इस दौरान पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के लिए आरएफपी डॉक्यूमेंट पर नियामक आयोग की संस्तुति लेने को लेकर बातचीत हुई। जबकि नियमानुसार यूपीपीसीएल के कहने पर आयोग को निजीकरण के किसी दस्तावेज पर अभिमत नहीं देना चाहिए।
अयोग अध्यक्ष ने समझौते पर किया था हस्ताक्षर
समिति ने कहा कि अरविंद कुमार ने पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष पद पर रहते हुए छह अक्टूबर 2020 को निजीकरण का प्रस्ताव वापस लिए जाने के लिखित समझौते पर हस्ताक्षर किया था। उस समय प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा भी मौजूद थे। आयोग में दूसरे सदस्य संजय सिंह पावर कारपोरेशन के कर्मचारी रह चुके हैं। ऐसी स्थिति में निजीकरण के दस्तावेज पर वह अपनी राय नहीं दे सकते हैं। आयोग में मौजूदा समय में कोई मेंबर लॉ नहीं है। इस तरह विद्युत नियामक आयोग का तकनीकी दृष्टि से कोरम ही पूरा नहीं है। इन सभी परिस्थितियों के मद्देनजर नियामक आयोग को निजीकरण के किसी भी डॉक्यूमेंट को मंजूरी नहीं देनी चाहिए।
समिति ने यूपीपीसीएल अध्यक्ष पर लगाए गंभीर आरोप
समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने आरोप लगाते हुए कहा कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन झूठे आंकड़े देकर निजीकरण की जिद पर अड़ा हैं। बिजली कर्मचारी नहीं चाहते कि इस भीषण गर्मी में उपभोक्ताओं को कोई तकलीफ हो। पावर कारपोरेशन को निजीकरण की जिद छोड़ देनी चाहिए। जिससे बिजली कर्मचारी पूरे मनोयोग से उपभोक्ताओं को बिजली देने के काम में जुटे रहे।
निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन जारी
संघर्ष समिति के आह्वान पर आज 197वें दिन प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन जारी रहा। इसके तहत वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुलतानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, हरदुआगंज, जवाहरपुर, परीक्षा, पनकी, ओबरा, पिपरी और अनपरा में विरोध सभा हुई।
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