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कंपनियों ने नहीं लौटाए 6.22 लाख पुराने मीटर, पावर कारपोरेशन को लाखों की चपत

प्रदेश में 29 अगस्त तक लगभग 38 लाख 28 हजार 925 स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं। इनमें 6 लाख 22 हजार 568 पुराने मीटर कंपनियों ने विभाग को नहीं लौटाए।

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Deepak Yadav
old meter scam up

कंपनियों ने नहीं लौटाए 6.22 लाख पुराने मीटर Photograph: (google)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। स्मार्ट प्रीपेड मीटर कंपनियों की मनमानी का खामियाजा प्रदेश के उपभोक्ताओं के साथ बिजली विभाग को भी भुगतना पड़ रहा है। स्मार्ट प्रीपेड मीटर अभियान की हफ्ते में दो बार समीक्षा होने के बावजूद कंपनियां पावर कारपोरेशन को लाखों रुपये की चपत लगा रही हैं। 

पुराने मीटरों को स्क्रीन लेजर से किया डैमेज 

दरअसल, मध्यांचल में स्मार्ट मीटर लगाने के बाद उपभोक्ताओं के पुराने मीटर की स्क्रीन लेजर से डैमेज कर रीडिंग शून्य करने का खुलासा होने पर अवर अभयंता ने सीतापुर में पोलरिस स्मार्ट मीटर प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंधक समेत चार अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। गोंडा और बलरामपुर में कंपनी पर भी केस दर्ज कराने की तैयारी है। 

मीटर निर्माता कंपनियों को 27342 करोड़ का आर्डर

प्रदेश में मीटर निर्माता कंपनी पोलरिस, जीएमआर, जीनस और इन टैली को लगभग 27342 करोड़ रुपये का आर्डर दिया गया है। प्रदेश में 29 अगस्त तक लगभग 38 लाख 28 हजार 925 स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं। इनमें 6 लाख 22 हजार 568 पुराने मीटर कंपनियों ने विभाग को नहीं लौटाए। इससे विभाग उपभोक्ताओं का पुराना बिल नहीं वूसल पा रहा है। ऐसे में कई महीने का बिल एक साथ आने पर उपभोक्ताओं के होश उड़ जाएंगे।

बिजली कंपनी      मीटर निर्माता कंपनी    वापस नहीं किए गए मीटरों की संख्या

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पूर्वांचल                जीएमआर-जीनस             2,42, 275
मध्यांचल              पोलरिस-इन टैली             92,969
दक्षिणांचल           जीएमआर-जीनस।           1,34,197
पश्चिमांचल            इन टैली स्मार्ट                1,45,123
केस्को                  जीनस                          8,000
                                                     कुल- 6,22,568

प्रदेश में बड़ा बड़ा रैकेट सक्रिय

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रदेश में सभी उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने हैं। कंपनियों की मनमानी के कारण पुराने मीटर में रीडिंग गायब होने से बिजली​ विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान होना तय है। इस मामले में पावर कापोरेशन प्रबंधन गंभीर नहीं है। वर्मा ने आरोप लगाया कि इस खेल में एक बड़ा रैकेट सक्रिय है। ऐसे में पावर कारपोरेशन प्रबंधन को इस मामले में सख्त उठाने चाहिए।

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