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Electricity Privatisation : निजी कंपनियों के पक्ष में एसबीडी, सीएम से निजीकरण का फैसला निरस्त करने की मांग

संघर्ष समिति ने बताया कि निजीकरण के लिए तैयार किया गया स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट निजी कंपनियां के पक्ष में बनाया गया है। डॉक्यूमेंट का पालन करने पर सरकार को निजी कंपनियों को न्यूनतम पांच से सात साल तक सस्ती दरों पर बिजली आपूर्ति करनी पड़ेगी।

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Deepak Yadav
protest against electricity privatisation

निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन करते बिजली कर्मचारी Photograph: (YBN)

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण में पावर कारपोरेशन और निजी घरानों की मिलीभगत का आरोप लगाया है। संगठन ने निजीकरण के लिए तैयार किए गए स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट (SBD) 2025 पर उपभोक्ताओं व बिजली कर्मियों से राय लेने और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से निजीकरण का निर्णय निरस्त करने की मांग की है। 

निजीकरण के बाद निजी कंपनियों को वित्तीय सहायता 

संघर्ष समिति ने बताया कि निजीकरण के लिए तैयार किया गया बिडिंग डॉक्यूमेंट निजी कंपनियां के पक्ष में बनाया गया है। केन्द्रीय विद्युत मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बिडिंग डॉक्यूमेंट का पालन करने पर सरकार को निजी कंपनियों को ट्रांजिशन सपोर्ट के नाम पर न्यूनतम पांच से सात साल तक सस्ती दरों पर बिजली आपूर्ति करनी पड़ेगी। इस एवज में अरबों रुपये खर्च करने पड़ेंगे। यह अवधि तब तक और बढ़ाई जा सकती है जब तक निजी कंपनियां मुनाफे में न आ जाय।

घाटे और देनदारियों का बोझ उठाएगी सरकार

इसके अतिरिक्त निजी कंपनियों को सारी जमीन बेहद कम दाम पर मुहैया करते हुए क्लीन बैलेंस शीट दी जाएगी और घाटे और देनदारियों का सारा बोझ सरकार अपने ऊपर ले लेगी। कर्मचारियों की सेवान्त सुविधाओं के भुगतान के लिए निजी कंपनियों को अधिकृत किया जा रहा है। वह इसे एआरआर के जरिए उपभोक्ताओं के टैरिफ पर पासऑन करेंगे।

उपभोक्ताओं का टैरिफ बढ़ने की आशंका

समिति ने आरोप लगाया कि प्रबंधन और शासन के कुछ उच्च अधिकारी निजी घरानों के साथ मिले हुए हैं और सरकार को अंधेरे में रखकर निजीकरण थोपना चाहते हैं। जिससे सरकार पर वित्तीय बोझ भी बढ़ेगा और आम उपभोक्ताओं का टैरिफ भी बढ़ेगा। 

निजीकरण का फैसला निरस्त करने की मांग 

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समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि ट्रांजेक्शन कंसल्टेंट के चयन और आरएफपी डॉक्यूमेंट तैयार किए जाने के बीच निजीकरण का आधार स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2020 से बदलकर 2025 हो गया है। ऐसे में निजीकरण की सारी प्रक्रिया तत्काल निरस्त की जाए और पहले स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट 2025 सार्वजनिक किया जाय। जिसके आधार पर प्रदेश के 42 जनपदों की बिजली व्यवस्था निजी घरानों को दी जा रही है। संघर्ष समिति के आह्वान पर आज लगातार 278 वें दिन बिजली कर्मियों ने प्रदेश भर में प्रदर्शन जारी रखा।

 Electricity Privatisation | VKSSSUP

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