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चंदे की आड़ में टैक्स चोरी, 20 राजनीतिक दलों की भूमिका उजागर, CA और वकीलों की मिलीभगत से रची गई करोड़ों की फर्जी स्कीम

देशभर में टैक्स छूट पाने के लिए फर्जी चंदा दिखाने के बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें 20 गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की भूमिका सामने आई है। चार्टर्ड अकाउंटेंट, वकीलों और बिचौलियों की मदद से करोड़ों रुपये का यह फर्जीवाड़ा किया गया।

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Shishir Patel
Fake Donations

राजनीतिक दलों काफर्जीवाड़ा।

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता । देश भर में आयकर में छूट पाने के लिए बड़े पैमाने पर चल रहे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें 20 पंजीकृत लेकिन गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की संलिप्तता सामने आई है। ये दल मुख्यतः एक कमरे के दफ्तरों से संचालित होते हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल टैक्स बचाने के गोरखधंधे में किया जा रहा था।इस धोखाधड़ी के पीछे चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA), वकील और बिचौलिए सक्रिय रूप से शामिल हैं। वे इन राजनीतिक दलों को फर्जी दानदाताओं के जरिए चंदा दिलवाते हैं, जिससे दान देने वालों को टैक्स में छूट मिलती है। बदले में, दान की रकम का बड़ा हिस्सा बतौर कमीशन लौटाया जाता है।

बीस दल आयकर जांच के दायरे में 

आयकर विभाग ने 14 जुलाई को देशभर में 150 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी कर इस रैकेट से जुड़े दस्तावेज और डिजिटल सबूत जुटाए। इस जांच में वाराणसी के दो सगे भाई – जो CA हैं – का नाम सामने आया है, जो वर्षों से इसी तरीके से आयकर रिटर्न में हेरफेर कर रहे थे। उनके ऑफिस और ठिकानों से बड़ी मात्रा में फर्जी दस्तावेज मिले हैं।विशेष रूप से कोरोना महामारी के बाद से इस तरह के फर्जी रिटर्न दाखिल करने के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। दिलचस्प बात यह है कि हाल ही में निर्वाचन आयोग द्वारा जिन 119 राजनीतिक दलों को निष्क्रियता के चलते कारण बताओ नोटिस भेजा गया है, उनमें से 20 दल आयकर जांच के दायरे में हैं।

57 लोगों ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए दाखिल किया रिटर्न 

जांच के बाद आयकर विभाग ने फर्जी चंदा दिखाकर रिटर्न दाखिल करने वाले 59 लोगों को नोटिस भेजे। इनमें से 57 लोगों ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए संशोधित रिटर्न दाखिल कर दिया है।अब विभाग की नजर सरकारी कर्मचारियों पर है, जो इसी तरह झूठे आंकड़ों के जरिये टैक्स में छूट ले रहे थे।जांच अधिकारियों ने बताया कि इस गिरोह का भंडाफोड़ बिचौलियों के आईपी एड्रेस ट्रैक करने के बाद हुआ। इसके बाद उनके कंप्यूटर, डाटा और कार्यालय खंगाले गए, जहां से रैकेट से जुड़ी पूरी योजना का खुलासा हुआ। कई मामलों में चार्टर्ड अकाउंटेंट सीधे न होकर टैक्स प्रैक्टिशनरों के माध्यम से यह पूरा खेल चला रहे थे।बीते सप्ताह लखनऊ और गोंडा में दो टैक्स प्रैक्टिशनरों के यहां भी छापेमारी हुई, जहां से इनकी संलिप्तता के सबूत सामने आए हैं।

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