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फर्जी आईएएस बनने वाले जालसाज डा. विवेक और सौरभ।
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी की राजधानी लखनऊ अब ठगों और जालसाजों का नया ठिकाना बनती जा रही है। हाईटेक जालसाज नित नए तरीके अपनाकर लोगों को चूना लगा रहे हैं। कभी कोई खुद को फर्जी आईएएस बताकर सरकारी रसूख दिखाता है, तो कोई आईपीएस अधिकारी बनकर बेरोजगार युवाओं से करोड़ों की ठगी कर रहा है। पुलिस की लगातार कार्रवाइयों के बावजूद राजधानी में ठगी का यह नेटवर्क घटने के बजाय और फैलता जा रहा है।
80 करोड़ की ठगी का खुलासा,CBCID के हत्थे चढ़ा झारखंड का ‘नटवरलाल’
अभी एक दिन पहले सीबीसीआईडी टीम ने झारखंड निवासी डॉ. विवेक उर्फ विवेक आनंद मिश्रा को गिरफ्तार किया है, जिसने खुद को अधिकारी बताकर अब तक 150 बेरोजगार युवाओं से 80 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की। आरोपी विवेक सरकारी नौकरी दिलाने और विभागीय सिफारिश कराने का झांसा देकर शिकारों से मोटी रकम वसूलता था। जांच में सामने आया कि वह पुलिसकर्मियों से लेकर विभिन्न सरकारी कर्मचारियों तक पर रौब झाड़ता था।यह अपने आपको गुजरात कैडर का आईएएस व आईपीएस बताकर लोगों को ठगने का काम कर रहा था। इसका नेटवर्क यूपी के अलावा बिहार और झारखंड के अलावा कई कई राज्यों तक फैला था। इसके साथ और कौन कौन लोग शामिल है इसका पता लगाने में पुलिस जुट गई है।
फर्जी IAS अधिकारी बनकर चलता था लग्जरी काफिले में
जानकारी के लिए बता दें कि इसी सितंबर माह में राजधानी पुलिस ने एक और बड़े जालसाज को पकड़ा था, जो फर्जी आईएएस अधिकारी बनकर लोगों को चूना लगा रहा था।पकड़े गए आरोपी का नाम सौरभ त्रिपाठी था जो लग्जरी गाड़ियों के काफिले में घूमता था और खुद को यूपी सरकार के कई विभागों का सचिव बताता था। यही नहीं, वह कई सरकारी आयोजनों में विशेष सचिव”बनकर शामिल भी हो चुका था।इसका खुलासा तब हुआ जब वजीरगंज ने इसे चेकिंग के दौरान सौरभ को रोका तो उसने पुलिस पर रौब झाड़ते हुए खुद को वरिष्ठ आईएएस बताया। शक होने पर सख्ती से पूछताछ की गई तो उसका पूरा फर्जीवाड़ा सामने आ गया।
मिला था फर्जी दस्तावेज और लग्जरी गाड़ियों का जखीरा
पुलिस को आरोपी के पास से कई फर्जी सरकारी पास, पहचान पत्र, मुहरें और दस्तावेज मिले हैं। उसके कब्जे से फॉर्च्यूनर, डिफेंडर और इनोवा समेत छह लग्जरी गाड़ियां बरामद हुईं, जिन पर सरकारी पास लगे हुए थे। पुलिस ने जब आरोपी सौरभ से पूछताछ की तो पता चला की ट्रांसफर पोस्टिंग के नाम पर धन उगाही करता था। किसी को उसके ऊपर शक न हो इसलिए लग्जरी गाड़ियों और गनर का इस्तेमाल करता था। सौरभ काफी दिनों से फर्जी आईएएस बनकर लोगों से ठगी करता रहा और इसके बारे में पुलिस व प्रशासन को भनक तक नहीं लग पायी।
आजमगढ़ से भी गिरफ्तार हो चुका है फर्जी आईएएस अधिकारी
इसी साल जुलाई माह में आजमगढ़ में पुलिस ने ग्राम प्रधानों से आइएएस अधिकारी बनकर करीब 50 लाख रुपये की ठगी करने वाले बाराबंकी के सूरजपुर निवासी आरोपित पंकज यादव को गिरफ्तार किया था। यह एनआइसी वेबसाइट के माध्यम से ग्राम प्रधानों, पूर्व प्रधानों की सूची और नंबर निकालकर उनसे फोन पर आइएएस अधिकारी, जनसूचना अधिकारी, सचिवालय का सचिव और राजभवन का फर्जी सेक्रेटरी हर्षवर्धन सिंह राठौर बनकर भ्रष्टाचार के आरोप में फंसाने, झूठी फाइल खोलने की धमकी देकर बताए गए खातों में आनलाइन रुपये मंगाता था।
ठगी का बढ़ता नेटवर्क, पुलिस के लिए चुनौती
राजधानी में इस तरह के लगातार खुलासे यह दर्शाते हैं कि जालसाजी का नेटवर्क न सिर्फ संगठित है बल्कि हाईटेक भी हो चुका है। पुलिस और खुफिया एजेंसियां ऐसे गिरोहों पर लगातार निगरानी रखे हुए हैं, मगर ठगों के हौसले अभी भी बुलंद हैं। राजधानी में फर्जी अफसर बनकर ठगी करने वाले गिरोह अब पुलिस के लिए नई चुनौती बन चुके हैं। चूंकि इनका नेटवर्क राजधानी तक ही नहीं सीमित है। जिलों में फर्जी आईएएस अधिकारी पकड़े जा चुके है।