/young-bharat-news/media/media_files/2025/09/24/cyber-fraud-2025-09-24-13-20-59.jpg)
ऑनलाइन लूडो और पबजी का नशा
लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता।राजधानी में ऑनलाइन गेमिंग के झांसे और मोबाइल की लत लगातार परिवारों को आर्थिक और मानसिक दोनों स्तर पर नुकसान पहुँचा रही है। हाल ही में जानकीपुरम निवासी दिनेश कुमार के 14 वर्षीय बेटे ने मां के मोबाइल पर गेम खेलते समय एक अनजान लिंक पर क्लिक कर दिया। लिंक पर क्लिक करते ही खाते से 9 हजार रुपये कट गए। परिजनों ने मामले की शिकायत साइबर सेल में की, जिसके बाद काफी मशक्कत के बाद पैसा खाते में वापस कराया गया, लेकिन आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हो सकी।
संदेश में लाखों रुपये जीतने का लालच दिया गया था
इसी तरह, सीतापुर रोड स्थित भरतनगर के मेडिकल स्टोर संचालक श्याम किशोर वर्मा को भी मोबाइल पर गेमिंग लिंक मिला। संदेश में लाखों रुपये जीतने का लालच दिया गया था। उन्होंने तत्काल क्लिक नहीं किया और बेटे को जानकारी दी। बेटे ने समझाया कि ऐसे लिंक खतरनाक होते हैं और तुरंत गूगल पे का पासवर्ड बदलकर सतर्कता बरती।
मोहनलालगंज में एक किशोर ने गेम खेलने से रोकने पर मां को मारदी थी गोली
मोहनलालगंज का एक और मामला चिंताजनक है। यहां छठवीं के छात्र यश की ऑनलाइन गेमिंग की लत ने परिवार को आर्थिक संकट में डाल दिया और गहरे मानसिक तनाव में भी। इससे पहले वर्ष 2022 में पीजीआई इलाके में मोबाइल गेम खेलने से रोकने पर एक किशोर ने अपनी मां की गोली मारकर हत्या कर दी थी।
चार घंटे से ज्यादा समय बच्चा मोबाइल पर बिता रहा तो गेमिंग लत का संकेत
मनोचिकित्सकों की माने यदि कोई बच्चा रोजाना चार घंटे से ज्यादा मोबाइल पर समय बिता रहा है तो यह गेमिंग लत का संकेत है। लत बढ़ने पर बच्चे आभासी और वास्तविक दुनिया में अंतर करना बंद कर देते हैं। इसे गेमिंग डिसऑर्डर कहा जाता है, जिसकी पहचान बेहद जरूरी है। एक शोध के अनुसार, मोबाइल और ऑनलाइन गेमिंग की लत से दिमाग में केमिकल असंतुलन बढ़ जाता है, जिसके कारण बच्चों का भावनात्मक नियंत्रण कमजोर पड़ने लगता है।