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Health News : यूपी में हर साल COPD से तीन लाख मौतें, अब फेफड़ों के ट्रांसप्लांट की तैयारी

पुणे में पल्मोकेयर रिसर्च एंड एजुकेशन फाउंडेशन के संचालक और श्वसन चिकित्सा में विशेषज्ञ डॉ. संदीप साल्वी ने 'यंग भारत न्यूज' से खास बातचीत में बताया कि फेफड़ों की बीमारी उत्तर प्रदेश काफी बढ़ गई है।

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Deepak Yadav
Respiratory and Critical Care Update 2025

पुणे में पल्मोकेयर रिसर्च एंड एजुकेशन फाउंडेशन के संचालक डॉ. संदीप साल्वी Photograph: (YBN)

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  • लखनऊ में देश भर के विशेषज्ञों ने फेफड़ों की बीमारियों के प्रति किया सचेत

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। फेफड़े शरीर के ऑक्सीजन इंजन कहलाते हैं। इनका स्वास्थ्य रहना अच्छी सेहत के लिए बेहद जरूरी है। मौजूदा समय में देश में फेफड़ों की बीमारियां लगातार बढ़ रही हैं। इसमे उत्तर प्रदेश सबसे आगे है। फेफड़े को रोगों के प्रति जागरुक करने के लिए देशभर के प्रमुख डॉक्टर लखनऊ में एकत्र हुए। सूर्या चेस्ट फाउंडेशन की तरफ से एक निजी होटल में आयोजित 18वां रेस्पिटेरी एवं क्रिटिकल केयर अपडेट 2025 कार्यक्रम में दूसरे दिन, रविवार विशेषज्ञों ने फेफड़ों की बीमारियों की रोकथाम, निदान और बेहतर उपचार के बारे में जानकारी दी।  

यूपी में सीओपीडी के सबसे ज्यादा मरीज

पुणे में पल्मोकेयर रिसर्च एंड एजुकेशन (PURE) फाउंडेशन के संचालक और श्वसन चिकित्सा में विशेषज्ञ डॉ. संदीप साल्वी ने 'यंग भारत न्यूज' से खास बातचीत में बताया कि उत्तर प्रदेश में फेफड़ों की बीमारी तेजी से बढ़ रहीं है। खासकर क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से सबसे ज्यादा रोगी यूपी में हैं। इस बीमारी की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रदेश में हर साल 10 लाख की आबादी में करीब तीन लाख (30 प्रतिशत) की मौत सीपीओडी से होती है। यह आंकड़ा देश में सबसे अधिक है। उन्होंने बताया देश भर में मौत का सबसे बढ़ा दूसरा कारण सीओपीडी है। इस बीमारी की सबसे मुख्य वजहें  धूम्रपान और लकड़ी और कोयला जलाकर खाना बनाना है।

फेफड़े शरीर का अहम अंग

डॉ. साल्वी ने बताया कि फेफड़े शरीर का सबसे अहम अंग हैं। शरीर को रोजाना एक हजार लीटर ऑक्सीजन की जरूरत होती है। इसके लिए फेफड़े हर दिन करीब 10 हजार लीटर हवा फेफड़ अपने अंदर खींचते हैं। इसमें से एक हजार लीटर ऑक्सीजन फेफड़ों के जरिए खून में पहुंचती है। इससे शरीर की 90 प्रतिशत ऊर्जा मिलती है। इसके विप​रीत, भोजन और पानी से सिर्फ 10 प्रतिशत ऊर्जा ही शरीर प्राप्त होती है। उन्होंने बताया कि फेफड़े बिल्कुल पेड़ की तरह काम करते हैं। स्वस्थ्य फेफड़ों से लंबे समय तक शरीर को ऊर्जा मिलती रहती है। 

सीओपीडी, अस्थमा और टीबी के मामले बढ़े

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फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ बीपी सिंह ने बताया कि सीओपीडी, अस्थमा, आईएलडी, फेफड़ों का कैंसर और टीबी जैसी की बीमारियां लगातार बढ़ रही हैं। इनसे निपटने के लिए नई रणनीतियों की जरुरत है। उन्होंने कहा​ कि ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज रिपोर्ट के अनुसार, भारत में विश्व के क्रॉनिक फेफड़ों के रोगों के 18 प्रतिशत मामले हैं। इतना ही नहीं श्वसन संबंधी कुल मौतों में से 32 प्रतिशत मामलें भारत में होते हैं। 

सांस संबंधी बीमारियों में भारत पहले नंबर पर

एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में संभावित सीओपीडी और अस्थमा के मामलों की संख्या क्रमशः 5.523 करोड़ और 3.5 करोड़ है। इसमें सीओपीडी मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। डॉ सिंह ने चिंता जताई कि विश्व में भारत रेस्पिरेटरी डिसएबिलिटी एडजस्टेड लाइफ ईयर्स में पहले नंबर पर है। उन्होंने बताया कि विकसित होती क्रिटिकल केयर के युग में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस एक बड़ी चुनौती है। अनुमान है कि वर्ष 2050 तक यह एक करोड़ अतिरिक्त मौतों का कारण बनेगी। इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी रणनीतियां विकसित करना जरूरी है। 

यूपी में फेफड़ों के ट्रांसप्लांट की तैयारी

डॉ. बीपी सिंह ने बताया अभी तक यूपी में फेफड़ों के ट्रांसप्लांट की सुविधा नहीं है। लेकिन अब प्रदेश में पहला लंग ट्रांसप्लांट प्रोग्राम इन्फॉर्मेशन सेंटर शुरू करने की योजना बनाई जा रही है। यह देश के सबसे सफल और एकीकृत हार्ट एवं लंग ट्रांसप्लांट प्रोग्राम से जुड़ा होगा। इसमें सीआरटीटी, ईसीसीएमओ जैसी उन्नत क्रिटिकल केयर सुविधाएं होंगी। 

ये रहे मौजूद

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दो दिवसीय कार्यक्रम में प्रो. रणदीप गुलेरिया (पूर्व निदेशक AIIMS, नई दिल्ली), डॉ. संजय मेहता (लीलावती हॉस्पिटल, मुंबई), डॉ. दीपक तलवार (मेट्रो हॉस्पिटल, नोएडा), डॉ. सुजीत राजन (बॉम्बे हॉस्पिटल, मुंबई), डॉ. राजाधर (CMRI हॉस्पिटल, कोलकाता), डॉ. अनंत मोहन (AIIMS नई दिल्ली), डॉ. श्रीनिवासन (मणिपाल हॉस्पिटल नई दिल्ली), डॉ. पारग संघवी (सर एच.एन. रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई), डॉ. संदीप साल्वी (क्रेस्ट, पुणे), डॉ. दिशा घोरपड़े (PURE फाउंडेशन, पुणे), डॉ. हरि कृष्णा (यशोदा हॉस्पिटल, हैदराबाद), डॉ. अपर जिंदल (ग्लेनइगल्स हॉस्पिटल, चेन्नई), डॉ. कनिष्क सिद्धार्थ (मिडलैंड हेल्थकेयर, लखनऊ) समेत कई प्रतिष्ठित विशेषज्ञ मौजूद रहे।

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