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UP News : स्टाम्प व पंजीकरण विभाग में तबादलों पर लगी रोक, CM Yogi ने दिए जांच के आदेश

उत्तर प्रदेश में स्टांप एवं पंजीकरण विभाग के 200 तबादलों में रिश्वतखोरी के आरोपों के चलते रद्द कर दिया गया है। सरकार ने इस तबादला सत्र को शून्य घोषित कर दिया है।

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Abhishek Mishra
Transfers Stamp Registration Department banned
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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। यूपी के सरकारी विभगों में भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहराई तक जुमी हुई हैं। प्रदेश का स्टाम्प एवं पंजीकरण विभाग भी इससे अछूता नहीं है। विगत दिनों विभाग में तबादलों के लिए करोड़ों रुपये की घूस लिए जाने का मामला उजाकर होने पर सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद इस मामले का संज्ञान लेते हुए स्थानांतरण पर रोक लगाकर जांच के आदेश दिए हैं। अब विभाग में कोई भी स्थानांतरण अग्रिम आदेश तक प्रभावी नहीं होगा। खासतौर पर निबंधक और उपनिबंधक पदों पर किए जा रहे स्थानांतरण अब नहीं होंगे। सीएम के निर्देश पर विभाग के प्रमुख सचिव ने तबादलों को स्थगित करने के आदेश जारी कर दिए हैं।

हालिया तबादलों की होगी जांच

सरकार ने यह कदम विभाग में हाल के कुछ ट्रांसफरों को लेकर मिली अनियमितता की शिकायतों के चलते उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिए हैं कि हालिया तबादलों की जांच कराई जाए। उन्होंने कहा कि स्थानांतरण प्रक्रिया में पारदर्शिता और नियमों का पालन अनिवार्य है और इसमें कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सूत्रों के अनुसार, विभाग में कुछ स्थानांतरण नियमों के विपरीत किए जाने की शिकायतें उच्च स्तर तक पहुंची थीं, जिसके बाद शासन ने यह सख्त निर्णय लिया है।

करोड़ों रुपये की घूस लिए जाने का आरोप

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प्रदेश सरकार ने स्टांप एवं पंजीकरण विभाग में किए गए लगभग 200 स्थानांतरणों को निरस्त कर दिया है। इन सभी तबादलों को लेकर गंभीर अनियमितताओं की शिकायतें मिली थीं, जिसके बाद इस स्थानांतरण सत्र को शून्य घोषित कर दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक, इन तबादलों के एवज में कथित रूप से करोड़ों रुपये की घूस लिए जाने का आरोप है। मामले की गंभीरता को देखते हुए विभागीय मंत्री रविंद्र जायसवाल ने तत्काल प्रभाव से जांच के आदेश दिए हैं। यह जांच वरिष्ठ आईएएस अधिकारी समीर वर्मा के खिलाफ होगी, जो वर्तमान में आईजी, स्टांप एवं पंजीकरण के पद पर तैनात हैं।

दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई

शिकायतों के अनुसार, इन 200 स्थानों पर की गई तैनातियों में भारी धनराशि का लेन-देन हुआ है। शासन की तरफ से स्पष्ट किया गया है कि जांच के बाद दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर जांच एजेंसियों को भी सक्रिय कर दिया गया है।

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