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मातृत्व अवकाश में दो साल का अंतर न होने के कारण अर्जी खारिज करना दुर्भाग्यपूर्ण : हाई कोर्ट

कोर्ट ने डायरेक्टर हार्टीकल्चर एवं फूड प्रोसेसिंग उप्र लखनऊ को स्पष्टीकरण के साथ एक सितंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया है और पूछा है कि आदेशो की अवहेलना के लिए उनके खिलाफ क्यों न आरोप निर्मित कर अवमानना कार्यवाही की जाय।

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Deepak Yadav
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मातृत्व अवकाश में दो साल का अंतर न होने के कारण अर्जी खारिज करना दुर्भाग्यपूर्ण Photograph: (google)

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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मातृत्व अवकाश में दो साल का अंतराल न होने के कारण अर्जी निरस्त करने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि एक बच्चे से दूसरे बच्चे के जन्म के बीच दो साल का अंतर होने पर मातृत्व अवकाश देने का नियम बाध्यकारी नहीं माना है। इसके बावजूद अधिकारी मनमानी करते हैं। दो बच्चों में दो साल का अंतर न होने के आधार पर मातृत्व अवकाश अर्जी निरस्त कर रहे हैं।

डायरेक्टर स्पष्टीकरण के साथ तलब 

कोर्ट ने डायरेक्टर हार्टीकल्चर एवं फूड प्रोसेसिंग उप्र लखनऊ को स्पष्टीकरण के साथ एक सितंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया है और पूछा है कि आदेशो की अवहेलना के लिए उनके खिलाफ क्यों न आरोप निर्मित कर अवमानना कार्यवाही की जाय। याचिका की अगली सुनवाई एक सितंबर को होगी।

सुशीला पटेल की याचिका पर कोर्ट ने दिया आदेश

यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार की एकल पीठ ने सुशीला पटेल की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अनूप बर्नवाल ने बहस की। इनका कहना है कि याची की अर्जी इस आधार पर खारिज कर दी गई कि पिछले अवकाश व दुबारा मांगें गये। अवकाश में दो साल का अंतर नहीं है। जबकि उन्हें कोर्ट के आदेशों की जानकारी दी गई थी। इसके बावजूद आदेश को न मानकर बिना उचित कारण के अर्जी खारिज कर दी। जो अदालत की अवमानना है।

Allahabad High Court | Allahabad High Court hearing 

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