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UP में 25.04 लाख स्मार्ट मीटर बिना अनुमति प्रीपेड में बदले, नियामक आयोग पहुंचा मामला

प्रीपेड स्मार्ट सही से चल रहे कि नहीं, यह जांचने के लिए पांच फीसदी घरों में लगाए गए चेक मीटर का मिलान नहीं किया गया। उपभोक्ता स्मार्ट प्रीपेड मीटर जंप करने और तेज चलने की लगातार शिकायत कर रहे हैं।

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Deepak Yadav
smart prepaid meter

UP में 25.04 लाख स्मार्ट मीटर बिना अनुमति प्रीपेड मोड में बदले Photograph: (google)

  • विद्युत उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में दाखिल किया लोक महत्व प्रस्ताव
  • परिषद अध्यक्ष ने कहा- प्रीपेड मीटर लगवाना उपभोक्ता की मर्जी पर निर्भर

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। उत्तर प्रदेश में अभी तक 32 लाख से अधिक लाख स्मार्ट प्रीपेड लग चुके हैं। वहीं, बिना उपभोक्ताओं की अनुमति के एक अगस्त तक लगभग 25,4000 स्मार्ट मीटर को प्रीपेड मोड में बदलकर उनकी जमा सिक्योरिटी राशि को मीटर में रिचार्ज कर समायोजित कर दिया गया। लाखों उपभोक्ता के घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर तो लगा दिए गए, लेकिन अभी तक उनकी बिलिंग शुरु नहीं हो पाई है। 

उपभोक्ता लगातार कर रहें शिकायत

इतना ही नहीं प्रीपेड स्मार्ट सही से चल रहे कि नहीं, यह जांचने के लिए पांच फीसदी घरों में लगाए गए चेक मीटर का मिलान नहीं किया गया। उपभोक्ता स्मार्ट प्रीपेड मीटर जंप करने और तेज चलने की लगातार शिकायत कर रहे हैं। इस बीच मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में भार जंप की समस्या को देखते हुए सॉफ्टवेयर में बदलाव किया गया, इसके बावजूद समस्या का समधान नहीं हो पाया है। इससे उपभोक्ताओं में रोष है।

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नियामक आयोग में लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल 

स्मार्ट प्रीपेड मीटर के मामले को लेकर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने शुक्रवार को नियामक आयोग में एक लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल किया। उन्होंने कहा कि प्रीपेड मीटर लगवाना पूरी तरह से उपभोक्ता की मर्जी पर निर्भर है। इसे जबरदस्ती नहीं लगाया जा सकता। भले ही केंद्र सरकार ने नियम बना दिया हो कि सबके घरों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगेंगे, लेकिन जब तक विद्युत अधिनियम 2003 में बदलाव नहीं होता, यह नियम कानूनी तौर पर मान्य नहीं हो सकता। अधिनियम में यह भी साफ लिखा है कि उपभोक्ता के प्री पेमेंट मीटर का विकल्प चुनने पर वितरण लाइसेंसधारी सिक्योरिटी नहीं ले सकता।

प्रीपेड मीटर की क्वालिटी ठीक नहीं

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वर्मा ने कहा कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर खराब क्वालिटी के हैं। आने वाले समय में ये मीटर उपभोक्ताओं के लिए बड़ी मुसीबत बनेंगे। उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों व पावर कारपोरेशन में प्रीपेड मीटर की कमियों की तमाम शिकायतों और आपत्तियां दाखिल की गईं। पर अभी इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। ऐसे में स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर ऊंची दरों पर लेने वाले निजी घरानें बड़ा फायदा कमा रहे। परिषद ने आयोग से इस मामले में तत्काल निर्णय लेने की मांग की है।

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UPRVUP | Avadhesh Verma

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